
गोरखपुर हादसे के बाद भी उत्तरप्रदेश सरकार के अस्पताल प्रशासन ने सबक नहीं लिया है. 'आजतक' संवाददाता ने मोदीनगर के एक सरकारी अस्पताल का दौरा किया. हैरानी की बात है कि सरकारी दफ्तरों में नौकरी करने वाले कर्मचारियों के परिजन बदहाल सिस्टम के बीच ईलाज कराने को मजबूर हैं.
मोदीनगर में कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय में एक तरफ बेड पर मरीज हैं तो बेड के नज़दीक कुत्ता बेरोक-टोक आराम फरमा रहा है. वार्ड में भर्ती अपनी बेटी का ईलाज करा रही एक महिला ने बताया कि कुत्तों से हमेशा खतरा बना रहता है. सवाल पूछने पर वार्ड की नर्स काफी घबरा गईं. नर्स ने बताया कि अस्पताल में कुत्तों से वो खुद भी परेशान हैं.
अस्पताल में हमारी टीम ने इमरजेंसी वार्ड का दौरा किया जहां एक मात्र ऑक्सीजन सिलेंडर रखा हुआ था. सिलेंडर के सही होने के बारे में नर्स बता ही रही थी कि इमरजेंसी वार्ड में ही एक कुत्ता घुस आया. तस्वीरों में स्टाफ कुत्ते को भगाने की जद्दोदजहद करते नज़र आए. यहां मरीज जानवरों की अवैध एंट्री से बेहद परेशान हैं. इसमें एक और हैरान करने वाली बात ये है कि नर्स ने खुद ऑक्सीजन ऑन करने की बजाय वार्ड बॉय को बुलाया. जब अस्पताल के MS से नर्सों को ऑक्सीजन सिलेंडर चलाने की ट्रेनिंग का सवाल पूछा तो वो गोलमोल जवाब देते नजर आए.
100 बेड वाले अस्पताल के MS अखिलेश गुप्ता ने खुद ऑन कैमरा स्टाफ की कमी के बारे में बताया. MS के मुताबिक अस्पताल में 24 नर्स की बजाय सिर्फ 6 नर्स हैं. क्लास 4 के कर्मचारी भी 63 की बजाय सिर्फ 24 हैं. कुत्तों के वार्ड में होने के सवाल पर MS मरीजों को ही जिम्मेदार ठहराते नज़र आए. MS का कहना है कि मरीज ही कुत्तों को रोटी देते हैं. पूरे अस्पताल में बदहाली देखने को मिली. मरीजों के लिए बेड पर बिछाए गए गद्दों की हालत भी बदहाल है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गोरखपुर में बच्चों की मौत के बाद वाकई सरकारी अस्पताल इंतजामों को लेकर सतर्क है?