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आजम ने UP के नतीजों को बताया मुसलमानों के खिलाफ, पूछा- अब कहां जाएं हम?

यूपी चुनाव में सपा को मिली जबरदस्त हार के बाद अपने पहले इंटरव्यू में पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने इस जनादेश को मुसलमानों के खिलाफ बताया है. उन्होंने कहा कि अगर भारत में अगर मुसलमानों से इतनी ही नफरत है तो हमको वोट करने का अधिकार क्यों दिया गया, हमसे यह भी अधिकार छीन लेना चाहिए.

सपा नेता आजम खान सपा नेता आजम खान
मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 15 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 12:10 AM IST

यूपी चुनाव में सपा को मिली जबरदस्त हार के बाद अपने पहले इंटरव्यू में पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने इस जनादेश को मुसलमानों के खिलाफ बताया है. उन्होंने कहा कि इस दौरान ऐसे भी नारे लगे कि 'मोदी-मोदी कहना होगा या पाकिस्तान में रहना होगा'. उन्होंने कहा कि अगर भारत में अगर मुसलमानों से इतनी ही नफरत है तो हमको वोट करने का अधिकार क्यों दिया गया, हमसे यह भी अधिकार छीन लेना चाहिए. आजम खान से इस बातचीत के प्रमुख अंश पेश हैं:

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उत्तर प्रदेश में जनादेश मुसलमानों के खिलाफ
यह चुनाव लोकतांत्रिक मूल्यों पर नहीं हुआ. यह ऐसा नहीं लगा कि एक धर्मनिरपेक्ष प्रदेश का चुनाव है. यह मैंडेट मुसलमानों के खिलाफ है . कमल चाहिए या कुरान चाहिए, श्मशान चाहिए या कब्रिस्तान चाहिए इन मुद्दों पर चुनाव हुआ.

नतीजों को देखकर दिल डर से बैठ जाता है
न जाने कितनी सत्ताएं आएं और गई पावर का ट्रांसफर हुआ एहसास नहीं हुआ, लेकिन इस बार जब सत्ता बदली है तो दिल डर से बैठ रहा है. ना जाने कितने करोड़ों का दिल दर्द डर से बैठा जा रहा है, खौफजदा है.

मुसलमान कहां जाएं
चुनाव के दौरान 'मोदी-मोदी कहना होगा या पाकिस्तान में रहना होगा' इस तरह के लगे नारे. तो हम यह कहना चाहते हैं कि पाकिस्तान को तैयार भी करें कि हमें कबूल करे, हम कहां जाएंगे?

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काम को अपनी औकात पता चली
यह दूसरा मौका है जब काम को अपनी औकात पता चली है. पहली बार एनडी तिवारी जब हारे थे तब और अब दूसरी बार यह हुआ है. कितना काम हुआ, पर लोगों ने काम नहीं देखा. काम की तो बात मत करिए, जहां तक कुशासन की बात है तो बदायूं वाले मामले को लेकर बीजेपी ने गलत बातें फैलाई और संयुक्त राष्ट्र तक चले गए यह उसी की गूंज है. यह फैलाया गया कि गुंडे और अपराधियों की सरकार है.

भाजपा ने घोर अपराधियों को टिकट दिये
भाजपा ने 180 संगीन अपराधियों को टिकट दिये और उसमें से 140 लोग जीत गए हैं. मेरे मुख्यमंत्री ने अपराधियों को टिकट नहीं दिया, इसकी भी लोगों ने सजा दी. रात को रात मैंने कह दिया इसकी सजा मुझे दी.

चुनाव के नतीजों पर उंगलियां उठ रही हैं
नतीजों पर उंगलियां इसलिए उठ रही हैं, क्योंकि जो इतिहास में कभी नहीं हुआ वह इस बार हुआ है. यही वजह है कि उंगलियां उठ रही हैं. कई जगह तो वोट प्रतिशत से ज्यादा वोट पड़े. बसपा ने और AAP ने इस लड़ाई को लड़ने की ठान ली है और उनको सपोर्ट भी मिल रहा है. विदेशों में यह सिस्टम क्यों नहीं है? जापान में यह सिस्टम क्यों नहीं है? यह भी चर्चा सोशल मीडिया पर चल रही है. भले ही TV चैनल इसे ना उठाएं.

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मुसलमानों ने बीजेपी को नहीं किया वोट
जो उंगलियां उठ रही है उसको दबाने के लिए BJP ने यह बात फैलाई है. अगर यह सच होता तो मुस्लिम महिलाएं खौफजदा क्यों हैं? मुसलमानों में दहशत क्यों है? आखिर क्यों कुछ शहरों में जब जुलूस निकला है तो मस्जिदों को ढक दिया जाता है? ऐसे नफरत का माहौल क्यों बनाया गया? अगर वाकई में हम इतने अच्छे हैं तो बीजेपी ने एक भी टिकट क्यों नहीं दिया मुसलमानों को?

मोदी अपने वादे क्यों नहीं पूरे करते?
मोदी जी महान हैं, सूफी है संत हैं, मगर फिर वह अपने वादे क्यों नहीं पूरे करते? मोदी की महानता कौन सैल्यूट करते हैं? काश वह अपनी महानता तब भी याद रखते जब रमजान और दिवाली की बात कर रहे थे? क्या वह कब्रिस्तान और श्मशान की बात जब कर रहे थे, तो उनको अपनी महानता याद थी?

मुसलमान से मताधिकार छीन लें
अगर भारत में मुसलमानों से इतनी ही नफरत है तो हमको वोट करने का अधिकार क्यों दिया? हमसे यह भी अधिकार छीन लें तो हम भी बहुत खुश होंगे. राम चाहिए, रहीम चाहिए , ये कौन कर सकता है? यह बात कब्रिस्तान और श्मशान किसने कही, दिवाली और रमजान पर किसने सवाल खड़े किए? सिर्फ मुसलमान बच्चों को लैपटॉप दिया गया यह किसने कहा?

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मोदी जी जनता को उसका पैसा दें
आपने अपना वादा पूरा नहीं किया. आपने वादा किया था कि कालाधन वापस लाएंगे, लोगों के अकाउंट में डालेंगे. आप अपना वादा पूरा करें. आप मेरे ढ़ंग से मुझे पैसा वापस नहीं कर पा रहे.

यादव परिवार की लड़ाई में मैं बना पुल
मुलायम जहां-जहां गए उन सीटों पर जीत मिली, अखिलेश जी जहां-जहां गए हैं जीत मिली. सब चीजें छोटी हो गई जब जहर का प्याला आ गया. परिवारिक रिश्ते बिगड़ने से मौत नहीं मिलती, लेकिन जो जहर का प्याला मिला उसे भूला नहीं जा सकता. परिवार के झगड़े में मैं टिप्पणी करने वाला कोई नहीं हूं. मैं हमेशा एक पुल का काम करता रहूंगा. मैं अगर एक कड़ी बना इस मसले पर तो मैं खुश रहूंगा. इस परिवार पर कड़ी टिप्पणी करने का मेरा अधिकार नहीं है.

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