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सपा ने काटा नरेश अग्रवाल का पत्ता, जया बच्चन चौथी बार जाएंगी राज्यसभा

समाजवादी पार्टी ने नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा को राज्यसभा का पत्ता काट दिया है. सपा ने अपने दिग्गज नेताओं को दरकिनार करते हुए जया बच्चन को दोबारा से राज्यसभा भेजने का फैसला किया ह.

अखिलेश यादव और जया बच्चन (फाइल फोटो) अखिलेश यादव और जया बच्चन (फाइल फोटो)
कुबूल अहमद/कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 2:00 PM IST

उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा को राज्यसभा का पत्ता काट दिया है. सपा ने अपने दिग्गज नेताओं को दरकिनार करते हुए जया बच्चन को दोबारा से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है.

बता दें कि समाजवादी पार्टी के छह राज्य सभा सांसद रिटायर हो रहे हैं. किरणमय नंदा, दर्शन सिंह यादव, नरेश अग्रवाल, जया बच्चन, मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी के नाम इस लिस्ट में हैं.  सपा के पास सिर्फ 47 वोट हैं, अखिलेश यादव सिर्फ एक नेता को ही संसद भेज सकते है. बाकी के अतिरिक्त वोट को गठबंधन के तहत बीएसपी उम्मीदवार को देगी.

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समाजवादी पार्टी ने नरेश अग्रवाल, किरणमय नंदा, दर्शन सिंह यादव,  मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी  को राज्यसभा का टिकट नहीं दिया है. सपा ने अपने छह राज्यसभा सदस्यों में सिर्फ जया बच्चन को भेजने का फैसला किया है.

बता दें कि मुलायम सिंह के करीबी दर्शन सिंह यादव का पत्ता पहले ही कट चुका था. आज़म खान के दाहिने हाथ मुनव्वर सलीम मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और आज़म खान की मेहरबानी से राज्य सभा पहुंच गए थे. इस वार वो रेस से बाहर थे. समाजवादी पार्टी के बड़े नेता ब्रजभूषण तिवारी की मौत के बाद आलोक तिवारी को सांसद बनाया गया था. वो दौर मुलायम सिंह का था और ये दौर अखिलेश यादव का है.

नरेश अग्रवाल, किरणमय नंदा और जया बच्चन के बीच नाम तय होना था. नरेश अग्रवाल पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव के करीबी माने जाते हैं. इसी के चलते उनका पत्ता कटा है. वहीं जया बच्चन का किसी गुट में ना होना ही उनके लिए वरदान साबित हुआ और पार्टी ने उन्हें चौथी बार राज्यसभा भेजने का फैसला किया है.

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राज्यसभा का गणित

राज्यसभा चुनाव का फॉर्मूला है, खाली सीटें में एक जोड़ से विधानसभा की सदस्य संख्या से भाग देना. निष्कर्ष में भी एक जोड़ने पर जो संख्या आती है. उतने ही वोट एक सदस्य को राज्यसभा चुनाव जीतने के जरूरी होता है.10 सीटों में 1 को जोड़ा तो हुए 11. अब 403 को 11 से भाग देते हैं तो आता है 36.63. इसमें 1 जोड़ा जाए तो आते हैं 37.63. यानी यूपी राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक सदस्य को औसतन 38 विधायकों का समर्थन चाहिए.

बीजेपी के 8,सपा के 1 और 1 विपक्ष का संयुक्त

यूपी विधानसभा में सदस्यों की संख्या 403 है, जिसमें 402 विधायक 10 राज्यसभा सीटों के लिए वोट करेंगे. इस आकड़े के मुताबिक बीजेपी गठबंधन के खाते में 8, सपा को एक सीट. क्योंकि सपा के पास 47 विधायक हैं. ऐसे में वो सिर्फ अपने एक ही सदस्य को राज्यसभा भेज सकती है. सपा अपने10 अतरिक्त वोट, बीएसपी के 19, कांग्रेस के 7 और 3 अन्य मिलाकर  विपक्ष का एक उम्मीदवार जा सकता है.

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