
उत्तर प्रदेश में अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार यूपीकोका (UPCOCA) कानून लाने जा रही है. विवादों के बीच आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में यूपीकोका (उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट) बिल पेश किया.
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने जब यूपीकोका का मसौदा तैयार किया और इसे कानूनी रूप देने की मंशा जाहिर तो इसका विरोध होने लगा. विपक्षी दलों समेत मुस्लिम संगठनों की तरफ से इस प्रस्तावित कानून को एक खास समुदाय को टारगेट करने का कदम करार दिया गया.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस कानून का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि यूपीकोका का इस्तेमाल दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के दमन के लिए होगा. इसलिए व्यापक जनहित में यूपीकोका को वापस लिया जाए.
हालांकि, प्रस्तावित बिल के मसौदे के आधार पर अलग-अलग तरह के अपराधों पर लगाम लगाने की बात कही जा रही है. प्रस्तावित मसौदे में गुंडागर्दी और संगठित अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई पर जोर दिया गया है. संगठित अपराध की श्रेणी में रंगदारी और ठेकेदारी में गुंडागर्दी को भी शामिल किया गया है. साथ ही गैरकानूनी तरीके से कमाई गई संपत्ति भी इस कानून के दायरे में शामिल होगी. ऐसी संपत्ति को जब्त भी किया जा सकता है.
इसके अलावा यूपीकोका से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें बनाई जाएंगी. जिससे ये सुनिश्चित किया जाएगा कि अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जा सके. इस कानून के तहत आने आपराधिक मामलों की निगरानी खुद राज्य के गृह सचिव करेंगे.
हालांकि इससे पहले 2007 में मायावती भी कानून लाना चाहती थी लेकिन तब केंद्र सरकार ने उन्हें मंजूरी नहीं दी थी.