
उपहार अग्निकांड में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्तब्ध और निराश दो किशोर बच्चों की मां का कहना है कि देश में पैसे वाले लोग पैसा देकर बच सकते हैं, लेकिन आम नागरिक के लिए एक अलग कहानी है.
एसोसिएशन आफ विकटिम्स ऑफ उपहार ट्रेजेडी (एवीयूटी) की अगुवाई करने वाली नीलम कृष्णमूर्ति ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निराशाजनक बताया है. कोर्ट ने अंसल बंधुओं को 60 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा कर बच निकलने की अनुमति दी है. उन्होंने कहा, 'मुझे बहुत निराशा हुई है. 18 साल पहले मेरा भगवान से विश्वास उठ गया था और 18 साल बाद मेरा न्यायपालिका से भरोसा उठ गया.'
'...तो एक साल में आ जाता फैसला'
नीलम ने आगे कहा, 'एक चीज जो मैंने महसूस की है कि कानून की अदालत अमीर और गरीब के लिए एक समान नहीं होती. पैसे वाले लोग पैसा देकर बच सकते हैं, लेकिन आम नागरिकों के लिए न्यायपालिका अलग है.' उन्होंने फैसले के तुरंत बाद कहा कि यदि यह नेताओं और जजों के बच्चों की जिंदगी का मामला होता तो एक साल के भीतर न्याय हो जाता.'
नीलम कृष्णमूर्ति ने कहा कि न्यायपालिका एक मां की पीड़ा नहीं समझ सकती जो 18 साल तक अदालत के दरवाजे पर खड़ी रही और उसे निराशा मिली. उन्होंने कहा, 'किसी को आम नागरिक की चिंता नहीं है, जबकि पैसे वाले और ताकतवर लोग बच निकलते हैं. 13 जून 1997 को जिस हादसे में 59 लोगों की जान चली गई थी वह थिएटर के मालिकों की जानबूझकर की गई लापरवाही का नतीजा था, जिन्होंने पैसे के लालच में सिनेमा देखने वालों की जिंदगी को खतरे में डाला.
-इनपुट भाषा से