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दिल्ली में जनलोकपाल बिल पर हंगामा मचा है. पहले मुद्दा था कि दिल्ली सरकार जन लोकपाल बिल क्यों नहीं ला रही है और अब हंगामा इस बात पर है कि सरकार ने इतनी हाय-तौबा में कैबिनेट बुलाकर जनलोकपाल बिल को मंजूरी दे दी. आरोप ये लग रहे हैं कि केजरीवाल सरकार की मंशा जनलोकपाल लाने की है ही नहीं, वो तो सिर्फ विधानसभा में बिल पेश करने का दिखावा करना चाहती है.
केजरीवाल सरकार जनलोकपाल बिल को विधानसभा में पेश करने के लिए तैयार है और आम आदमी पार्टी इसके लिए अपने आप को शाबाशी देते नहीं थक रही. पार्टी का दावा है कि ये बिल वही होगा, जिसे अन्ना ने मंजूरी दी थी, लेकिन विपक्ष ने सरकार की मंशा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा है कि अगर सरकार के पास पहले से बिल तैयार था, तो उसे मंजूरी देने के लिए आनन-फानन में कैबिनेट बुलाने की ज़रूरत क्यों पड़ी.
कांग्रेस ने साधा निशाना
दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष माकन ने कहा, 'मेरे पर फरवरी 2014 के बिल की कॉपी है, अगर ये वही बिल है, तो आठ महीने से सरकार ने इसको पेश किए जाने की प्रक्रिया क्यों पूरी नहीं की. अगर इस में बदलाव किया गया है तो सरकार चुप क्यों है.'
क्या वाकई असमंजस में है केजरीवाल सरकार?
विपक्ष सरकार पर दबाव में जनलोकपाल बिल लाने का दिखावा करने का आरोप लगा रहा है. इसकी वजह भी है, क्योंकि बुधवार को जब दिल्ली विधानसभा का सत्र शुरु हुआ, तो विधानसभा के भीतर बीजेपी ने जनलोकपाल नहीं लाने को लेकर सवाल खड़ा किया था, तो विधानसभा के भीतर कांग्रेस ने जनलोकपाल पेश करने के लिए जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था. इसीलिए अब बीजेपी आरोप लगा रही है कि केजरीवाल सरकार असल में जनलोकपाल कानून को लेकर ही असमंजस में है.
नेता विपक्ष ने कहा प्रक्रिया फंसाना चाहती है सरकार
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा, 'पहले आपने कहा कि दिल्ली लोकायुक्त बिल में संशोधन करेंगे, फिर आपने दो साल से खाली पड़े लोकायुक्त के पद को पुराने कानून से ही भर दिया. अब कह रहे हैं कि अन्ना वाला बिल लेकर आएंगे. दरअसल सरकार की तैयारी ही नहीं है और वो इसे कानूनी प्रक्रिया में फंसाना चाहती है.'
विपक्ष ने उठाए ये सवाल
विपक्ष का आरोप है कि सरकार जनलोकपाल कानून को लेकर अपने ही वादों से पीछे हट रही है. इसीलिए उसने बिल को लेकर स्थिति पहले से स्पष्ट नहीं की है. अगर बिल तैयार था, तो पहले से इसके लिए जरूरी संवैधानिक औपचारिताएं पूरी क्यों नहीं की. अगर यह वही बिल है जिसे 49 दिनों के कार्यकाल के दौरान पेश किया गया, तो फिर बिल के प्रावधानों को लेकर सरकार स्पष्ट क्यों नहीं है. अगर सरकार की मंशा वाकई बिल को पास कराने की है, तो नियम के मुताबिक उपराज्यपाल और केंद्र के पास मंजूरी के लिए क्यों नहीं भेजा गया. क्योंकि जनलोकपाल बिल वित्तीय प्रावधानों से जुडा है. अगर इसमें केंद्र के लोकपाल बिल के मुताबिक बदलाव नहीं किए गए, तो क्या ये बिल केंद्र से टकराव का एक और बहाना नहीं बनेगा.
हम मजबूत लोकपाल ला रहे हैं: सरकार
दिल्ली सरकार की दलील है कि अभी बिल का मसौदा ही विपक्ष को नहीं पता है, इसीलिए उनका विरोध महज एक शोर ही है. दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, 'अभी बिल में क्या है, इसका किसी को पता है, जो तरह-तरह की बातें कर रहे हैं. हम एक मजबूत जनलोकपाल ला रहे हैं, और इसे विधानसभा में पेश होने दीजिए.'