
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो चुका है. कोर्ट ने सरकार को तीन महीने के अंदर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया है. ऐसे में अब हर तरफ यही चर्चा है कि रामलला का 27 वर्ष से चला आ रहा 'टेंटवास' कब समाप्त होगा, मंदिर का निर्माण कब शुरू होगा, मंदिर कैसा होगा?
प्रस्तावित मॉडल के अनुसार 2.75 लाख घन मीटर भूभाग पर बनने वाला राम मंदिर दो मंजिल का होगा. इसकी लंबाई 270 मीटर, चौड़ाई 140 फीट और ऊंचाई 128 फीट होगी. 330 बीम और दोनों मंजिल पर 106- 106, यानी कुल 212 खंभों वाले मंदिर में पांच दरवाजे होंगे और इसका निर्माण पांच हिस्सों- गर्भगृह, कौली, रंग मंडप, नृत्य मंडप और सिंह द्वार में किया जाना है. मंदिर के मुख्य द्वार का निर्माण का निर्माण मकराना के सफेद संगमरमर से होगा. गर्भगृह के ठीक ऊपर 16.3 फीट के प्रकोष्ठ का निर्माण होगा, जिस पर 65.3 फीट ऊंचे शिखर का निर्माण होगा.
पाटी जाएगी गहरी खाई
राम जन्म भूमि के आसपास गहरी खाई है. पुरातात्विक खुदाई के दौरान के भी कई गड्ढे हैं. पहले इस खाई को पाटा जाएगा फिर मंदिर निर्माण के लिए तराशे जाने के बाद कार्यशाला में तैयार पड़े पत्थर रखे जाएंगे. जयपुर से लाए गए इन पत्थरों की विशेषता है कि यह गर्मियों के मौसम में थोड़े ठंडे और इसके ठीक उलट सर्दियों में थोड़े गर्म रहेंगे. इन पत्थरों में तनाव भी नहीं आएगा.
मंदिर निर्माण में कितना लगेगा समय
राम मंदिर के तैयार मॉडल को ही गठित होने जा रहा ट्रस्ट मंजूरी दे देता है तो मंदिर के निर्माण में लगभग पांच साल का समय लगेगा. यदि दूसरा मॉडल बनवाया जाता है, तब मंदिर का निर्माण पूरा होने में 8 से 10 साल का समय लग जाएगा. हालांकि मंदिर के प्रस्तावित मॉडल के अनुरूप पत्थरों को तराशने के कार्य में लोगों ने वर्षों अथक परिश्रम किया. ऐसे में इनकी आस्था का सम्मान करते हुए मंदिर के मॉडल में बदलाव नहीं किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है.
27 साल से टेंट में हैं रामलला
विवाद के कारण सन 1992 से ही रामलला कड़ी सुरक्षा घेरे के बीच टेंट में हैं. चारो तरफ से 80 फीट लंबे, 40 फीट चौड़े, 16 फीट ऊंचे कंटीले बाड़ हैं. 27 साल से राम जन्म भूमि की यही संरचना है. सन 1993 में सुप्रीम कोर्ट से पूजा की अनुमति तो मिल गई, सादगी से पूजा भी शुरू हो गई, लेकिन टेंट में लगा तिरपाल फटने पर उसे बदलने के लिए कोर्ट के चक्कर काटने पड़े. 1992 के बाद सन 2004 में पहली बार तिरपाल बदला गया था. वह भी कोर्ट का चक्कर काटने के बाद. इसके बाद सन 2015 में दूसरी बार तिरपाल बदला गया था.
दर्शन के अस्थायी इंतजाम पर सरकार कर रही विचार
राम के दर्शन को पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को दूर से ही बाड़ के बीच सुरक्षा घेरे में टेंट के दर्शन कर वापस लौटना पड़ता है. अब जबकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार रामलला के दर्शन की अस्थायी व्यवस्था करने पर विचार कर रही है.