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काशी से अयोध्या, सरयू से संगम तक CM योगी की यात्रा

प्रदेश के पहले संत मुख्यमंत्री जैसे ही किसी धार्मिक नगरी जाते हैं तो अपना योगी रूप दिखाने से पीछे नहीं हटते. बनारस में विश्वनाथ बाबा और काल भैरव के दर्शन, अयोध्या में तमाम सवालों व आलोचनाओं के बीच वो रामजन्म भूमि गए और फिर सरयू के तट पर पूजा की.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मौसमी सिंह/सुरभि गुप्ता
  • प्रयाग,
  • 03 जून 2017,
  • अपडेटेड 12:27 AM IST

पहले काशी में परिक्रमा, फिर राम की नगरी अयोध्या में आराधना और अब तीर्थों के राजा प्रयाग में आरती, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुल कर धार्मिक कार्ड खेला है. योगी आदित्यनाथ आज रात पिछले दस दिनों में छह मंदिरों के दर्शन और दो घाटों में पूजा और आरती कर चुके होंगे. काल भैरव से लेकर, रामजन्मभूमि और प्रयाग में लेटे हुए हनुमान की पूजा कर के योगी ने प्रदेश की सियासत को भगवा चोगा पहना दिया है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में बीजेपी एक बार फिर से भगवा कार्ड को अपने सियासत के केंद्र में ले आई है.

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पहले योगी हैं यूपी के सीएम
प्रदेश के पहले संत मुख्यमंत्री जैसे ही किसी धार्मिक नगरी जाते हैं तो अपना योगी रूप दिखाने से पीछे नहीं हटते. बनारस में विश्वनाथ बाबा और काल भैरव के दर्शन, अयोध्या में तमाम सवालों व आलोचनाओं के बीच वो रामजन्म भूमि गए और फिर सरयू के तट पर पूजा की. ऐसे में इलाहाबाद में दो दिन के कार्यक्रम की शुरुआत भी संगम के तट से हो रही है.

राम मंदिर एजेंडे पर योगी का रुख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम की नगरी में राम मंदिर पर अपनी मन की बात करके साधु-संतों को मंत्र मुग्ध कर दिया. बंद कमरे में आश्वासनों के पुलिंदे भरे जो कि मंदिर की आस लगाए बैठे संत समाज के लिए गदगद करने वाले थे. इलाहाबाद में भी योगी साधु-संतो से मिले और वहां भी राम मंदिर पर चर्चा हुई. इस मामले में योगी के एजेंडे में दो बातें हैं एक तो संत समाज को समझाना कि आगे का रास्ता आपसी सहमति में है ना कि संघर्ष में और दूसरा बीजेपी की गणित में मंदिर कार्ड को वापस जोड़ना.

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संकटमोचन के भक्त
हर रोज योगी का पूजा-पाठ हनुमान चालीसा के बगैर पूरा नहीं होता. अयोध्या में प्राचीन हनुमानगढ़ी से उन्होंने दौरे की शुरुआत की तो प्रयाग में वो संगम पर लेटे हुए हनुमान के दर्शन करेंगे. कहते हैं इसके बगैर संगम के दर्शन पूरे नहीं होते.

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