
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी है. शासन ने आलोक सिंह को नोएडा का पहला कमिश्नर नियुक्त भी कर दिया है. अब पहले कमिश्नर के कार्यभार ग्रहण से पहले ग्रेटर नोएडा स्थित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय के पीछे तमाम फाइलों को आग के हवाले कर दिया गया है.
इन फाइलों के कुछ अधजले पन्नों पर गैंगस्टर और डकैती जैसे शब्द साफ दिख रहे हैं, जबकि अधिकारी इसे कैंटीन का कूड़ा बता रहे हैं. कमिश्नर के चार्ज लेने से पहले ही एसएसपी ऑफिस में फाइलों का जलाया जाना संदेह उत्पन्न करता है. अब यह फाइलें पुरानी है या किसी केस से जुड़ी हैं, इसका खुलासा जांच से ही हो सकता है.
कागजों के ढेर में कुछ दस्तावेज भी!
वहीं इस संबंध में पुलिस विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि कैंटीन के कर्मचारियों ने कूड़ा और अखबार जलाया है. जबकि जले हुए तथाकथित कूड़े के ढेर में कुछ अधजले कागजात अधिकारियों के उलट कुछ और ही कहानी बयान करते हैं. जलाए गए कागजों के ढेर में आधार कार्ड समेत कुछ ऐसे दस्तावेज भी हैं, जिनके किसी अन्य फाइल से होने का अंदेशा है.
ऐसे में कागजातों का जलाया जाना बरबस ही मन में संदेह उत्पन्न कर रहा है. क्या यह कमिश्नर के चार्ज संभालने से पहले पुराने कारनामों को जलाकर खत्म करने का प्रयास तो नहीं? गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसएसपी वैभव कृष्ण को निलंबित कर दिया था.
एसएसपी के खिलाफ की गई कार्रवाई के ठीक बाद ही कैबिनेट मीटिंग के बाद सूबे के दो शहरों राजधानी लखनऊ और नोएडा में कमिश्नर प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया गया था.