
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव सर पर हैं वहीँ दूसरी तरफ कांग्रेस के अंदर गुटबाजी और टकराव अपने चरम पर है. कांग्रेस अध्यक्ष किशोर और मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक दूसरे के खिआफ मोर्चा खोल दिया है. मुद्दा चाहे टिकट के बटवारे का हो या फिर बागी विधायकों का, दोनो के सुर एकदम अलग हैं.
उधर, कांग्रेस नेता अंबिका सोनी ने अपने ब्यान में ये कहकर हलचल पैदा कर दी है कि पार्टी की विचारधारा में फिर से विश्वास होता है तो सभी बिछड़ों (बागी नेताओं) का पार्टी में स्वागत है. इस बात का समर्थन करते हुए किशोर उपाध्याय ने भी पार्टी प्रभारी की हां में हां मिलाते हुए कहा कि अंबिका सोनी हमारी पार्टी की बड़ी नेता हैं उनके बयान का हम स्वागत करते हैं.
मुख्यमंत्री हरीश रावत की नाराजगी
बागियों के स्वागत की बात को लेकर हरीश रावत अपने रोष को रोक नहीं पाए. भरे मंच पर हज़ारों की जनता के बीच ही हरीश ने ये कह कर पार्टी में हड़कंप मचा दिया कि उत्तराखंड की जनता अगर 10 बागियों में से किसी एक
को भी जिता देगी तो ये पूरे उत्तराखंड के लिए किसी कलंक से ज्यादा बढ़कर होगा.
गौरतलब है कि 18 मार्च को जिस तरह कांग्रेस के 9 विधायकों ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर हरीश रावत की सरकार गिरा दी थी जिसके बाद रावत सरकार और बागियों के बीच एक जबरदस्त खाई सी खिच गई थी, जो अब भी जारी है. ऐसे में अपनी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और उत्तराखंड प्रभारी के बयान ने रावत को बेहद असहज कर दिया है.
बागियों की तरफ से अभी तक नहीं है कोई भी संकेत
हालांकि अभी तक बागी विधायकों की तरफ से ऐसे किसी भी ब्यान पर न ही कोई प्रतिक्रिया दी गई है और न ही ऐसा कोई भी संकेत जिससे वापसी की कोई भी गुंजाइश जाहिर हो. लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए ये कहना मुश्किल ही होता है. बहरहाल इसे वाकयुद्ध कहें या एक दूसरे के प्रति नाराजगी, पर कहीं न कहीं इसे चुनाव के समय पार्टी में बिखराव के रूप में जरूर देखा जा रहा है.