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उत्तराखंड विधानसभा में हरीश रावत का बहुमत साबित होने के बाद राष्ट्रपति शासन हटाने की संस्तुति केंद्रीय कैबिनेट ने कर दी लेकिन इस सब के बीच कांग्रेस की एक बागी विधायक ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर अपना पक्ष सुने जाने की अपील की है.
कांग्रेस की बागी विधायक शैला रानी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर कहा कि वो पहली बार कोर्ट में अर्जी लगा रही हैं क्योंकि पहले उनके विधानसभा क्षेत्र में आग लगी हुई थी जिसके कारण वो न तो उत्तराखंड हाई कोर्ट में अर्जी लगा सकीं और न ही सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रख सकीं, इसलिए उसे सुना जाए.
'गलत तरीके से लिया गया फैसला'
विधायक ने अपनी अर्जी में कहा है कि स्पीकर ने विधायकों की बर्खास्तगी का फैसला गलत तरीके से लिया. उनके फैसले का कानूनी आधार नहीं है.
कोर्ट ने तलब किए दस्तावेज
शैला रानी के इस दावे का कि वो हाई कोर्ट में पार्टी नहीं थी, कुछ वकीलों ने विरोध किया. सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायक के वकील को कहा कि वह कोर्ट में ही रहें. सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार से 12 बजे तक असली रिकॉर्ड तलब किया है जिससे ये पता चल सके कि वो उत्तराखंड हाई कोर्ट में बागी विधायकों की तरफ से दायर याचिका में पार्टी थीं या नहीं. कोर्ट ने कहा कि आगर दावा गलत हुआ तो वकील के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.