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टिहरी में भारी भूस्खलन से बनी 80 फीट गहरी झील, खतरे की जद में कई गांव

लगातार बारिश ने उत्तराखंड का जीवन अस्त-व्यस्त कर रखा है, मूसलाधार बारिश की वजह से टिहरी के पास एक झील बन गई है अगर उस पर लैंडस्लाइड हुआ तो आसपास के कई गांवों में तबाही आ सकती है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
aajtak.in
  • टिहरी ,
  • 15 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 10:45 PM IST

पहाड़ पर रहना पहाड़ की तरह ही जीवन बिताने जैसा होता है, यह बात वहां रहने वाले लोगों से अच्छा भला कौन जान सकता है. यहां कभी आग तो कभी पानी लोगों की जान पर बना रहता है.

मॉनसून की बारिश ने आजकल उत्तराखंड के लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. मूसलाधार बारिश से तमाम नदियां लबालब भरी हुई हैं. उत्तराखंड के टिहरी जिले और राजधानी देहरादून से मुश्किल से 25 किलोमीटर दूर लवारका गांव की आजकल नींद उड़ी हुई है क्योंकि गांव के दूसरे छोर से पूरा पहाड़ नदी पर आ गया और इसने नदी को रोक दिया जिससे नदी ने यहां एक विशालकाय झील का रूप ले लिया है.

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खतरा बरकरार

पानी के जमा होने से दूसरी छोर पर बसा गांव पूरी तरह खतरे में आ गया है क्योंकि पानी ने इस गांव का कटान करना शुरू कर दिया है और अगर बारिश बढ़ती है तो इस झील के टूटने का भी खतरा है जिससे इसकी जद में आने वाले निचले हिस्सों के लिए भी बड़ा खतरा बन गया है.

इसके बड़े पहाड़ के टूटने से बनी इस गहरी और बड़ी झील को खतरा एक और भी है और वो है ठीक सामने वाला विशालकाय पहाड़ भी जो किसी भी वक्त टूट कर उसी झील में ही जाकर गिरेगा और अगर ऐसा हो गया तो फिर जो तबाही होगी उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती.

कल रात हुई तेज बारिश के बाद टिहरी गढ़वाल के लवारका गांव में जबरदस्त भूस्खलन के बाद टिहरी से देहरादून के बांदल गांव में आकर मिलने वाली नदी का मुख पूरी तरह से बंद होने के बाद एक बेहद बड़ी झील बनने के बाद पूरे गांव पर खतरा बढ़ गया, 80 मीटर गहरी बनी इस झील ने टिहरी से लेकर देहरादून तक सारे प्रसाशन और सरकार में हड़कंप मचा दिया.

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घटना की जानकारी मिलते ही आज तक की टीम ने लवर्का गांव की तरफ रुख किया. देहरादून से 25 किलोमीटर सड़क मार्ग के द्वारा पहुंचने के बाद मालूम हुआ कि 7 किलोमीटर की बेहद खतरनाक और जानलेवा पहाड़ी चढ़ाई है और वो भी उन पगडंडियों के सहारे की जरा सी भी नजर इधर-उधर हो जाए तो बस सैकड़ों फीट गहरी खाई के अलावा और कुछ नहीं.

अदरक की फसल बर्बाद

ऐसे में उन गांववालों की सोचते ही रूह कांपने लगती है जिन्हें रोज ही इन रास्तों को अपने कदमों से नापना पड़ता होगा. बेहद विशाल चट्टान के टूटने की सूचना और उसके बाद नदी का मुख बंद होने की वजह से झील के बनने के बारे में जानकारी मिलने के तुरंत बाद हर बार की तरह मौके पर पहुंची एसडीआरएफ की टीम ने मोर्चा संभालते हुए झील के मुखाने को थोड़ा बहुत खोलकर पानी निकालने की कोशिश तो की लेकिन जिस तरह से झील ने अपना आकार बना लिया है उसके बाद से नदी का रुख गांव की तरफ हो गया, जिससे खेतों में पानी पहुंच गया और अदरक की फसल बर्बाद हो गई.

बाढ़ से एक नया खतरा जो सामने आया है और वो झील के ठीक ऊपर बने घर हैं जो किसी भी वक्त झील में समा सकते हैं. मौके पर मौजूद प्रशासन के अधिकारियों से बात करने पर मालूम हुआ कि झील के सिर्फ मुख को खोलने की कोशिश की जा रही है, लेकिन जो पानी अब जमा हो गया है वो उसी मात्रा में वहां पर रहेगा क्योंकि 20 परसेंट पानी अगर इकठ्ठा हो रहा है तो सिर्फ 15 से 18 परसेंट तक ही पानी की निकासी हो पाएगी, ऐसे में इसकी गंभीरता को कम नहीं माना जा सकता.

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डर अभी बरकरार है क्योंकि मॉनसून अभी भी बना हुआ है और अभी बारिश की संभावना है. ऐसे में अगर बारिश यूं ही जारी रही तो मुश्किलें और खड़ी हो सकती हैं.

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