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महाभियोग पर जल्द फैसला लेंगे वेंकैया नायडू, कानूनी जानकारों से मांगी राय

राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार नायडू ने याचिका को स्वीकारने अथवा ठुकराने को लेकर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पी.के. मल्होत्रा सहित अन्य विशेषज्ञों से कानूनी राय ली. ऐसा माना जा रहा है कि नायडू जल्द ही विपक्षी दलों के इस नोटिस पर कोई फैसला करेंगे.

एम. वेंकैया नायडू (फाइल फोटो) एम. वेंकैया नायडू (फाइल फोटो)
अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 22 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 7:59 AM IST

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस समेत अन्य दलों की ओर से दिए गए महाभियोग नोटिस पर बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस बाबत रविवार को उन्होंने अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल सहित संविधानविदों और कानूनी विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श किया.

राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार नायडू ने याचिका को स्वीकारने अथवा ठुकराने को लेकर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पी.के. मल्होत्रा सहित अन्य विशेषज्ञों से कानूनी राय ली. ऐसा माना जा रहा है कि नायडू जल्द ही विपक्षी दलों के इस नोटिस पर कोई फैसला करेंगे.

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दौरा छोड़ दिल्ली लौटे

अधिकारियों के अनुसार नायडू ने मामले की गंभीरता के मद्देनज़र आज हैदराबाद के अपने कुछ कार्यक्रमों को रद्द कर कानूनविदों के साथ बैठक की. राज्यसभा सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव मल्होत्रा और विधायी मामलों के पूर्व सचिव संजय सिंह से नायडू ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया.

अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने राज्यसभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी विचार-विमर्श किया और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी से भी बातचीत की.

विपक्षी दलों का प्रस्ताव

बता दें कि शुक्रवार को कांग्रेस सहित 7 विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति नायडू को चीफ जस्टिस मिश्रा के खिलाफ कदाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नोटिस दिया था. नायडू अगर इस नोटिस को स्वीकार करते हैं तो प्रक्रिया के नियमों के अनुसार विपक्ष की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच के लिए उन्हें न्यायविदों की 3 सदस्यों की एक समिति का गठन करना होगा.

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राज्यसभा के सभापति को नोटिस सौंपने के बाद विपक्षी दलों ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया था. नोटिस की समीक्षा करते हुए राज्यसभा के अधिकारियों ने जिक्र किया कि सभापति की ओर से नोटिस को स्वीकार करने से पहले इसे सार्वजनिक करना संसदीय नियमों का उल्लंघन है.

राज्यसभा सदस्यों के लिए प्रावधानों के मुताबिक सदन में रखे जाने वाले नोटिस को सभापति द्वारा स्वीकार करने से पहले इसे सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए. सीजेआई के खिलाफ प्रस्ताव लाने के कारण कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं.

नकवी का कांग्रेस पर हमला

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सीजेआई दीपक मिश्रा पर महाभियोग चलाने की मांग को लेकर राज्यसभा के सभापति के समक्ष नोटिस लाने को महामूर्खता बताया. उन्होंने कहा कि ऐसा प्रस्ताव लाना कांग्रेस की महामूर्खता है, जैसा कि कहते हैं, ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’, उसी तरह यह कांग्रेस पार्टी की ‘विनाश काले पप्पू बुद्धि’ है.

कामकाज से अलग हों CJI

कांग्रेस पार्टी ने आज कहा कि कथित कदाचार के आरोपों से मुक्त होने तक प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज से खुद को अलग करना चाहिए. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि बीजेपी प्रधान न्यायाधीश का बचाव कर न्यायपालिका के सर्वोच्च पद का अपमान कर रही है और इस मामले का राजनीतिकरण कर रही है.

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