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विश्वविद्यालयों में आजाद सोच को बचाने की जरूरत: हामिद अंसारी

अंसारी ने कहा है कि यूनिवर्सिटी कैंपसों को आजाद सोच की जगह के तौर पर बचाया जाना जरूरी है. वो पंजाब विश्वविद्यालय के 66वें दीक्षांत समारोह के मौके पर बोल रहे थे.

उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 25 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 5:01 PM IST

पिछले कुछ वक्त में जेएनयू और डीयू समेत देश के कई कैंपस विचार धाराओं के बीच अखाड़ा बन रहे हैं, उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी विश्वविद्यालयों में आजाद ख्यालों की हिमायत की है.

'विश्वविद्यालयों की आजादी को चुनौती'
अंसारी ने कहा है कि यूनिवर्सिटी कैंपसों को आजाद सोच की जगह के तौर पर बचाया जाना जरूरी है. वो पंजाब विश्वविद्यालय के 66वें दीक्षांत समारोह के मौके पर बोल रहे थे. उप-राष्ट्रपति के मुताबिक, 'हमारे विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता को ऐसे तत्वों से चुनौती मिल रही है जो जन-सरोकार को बेहद तंग नजरिये से देखते हैं. हमें यूनिवर्सिटी कैंपसों की रक्षा करने की जरूरत है क्योंकि वो उदारवादी मूल्यों के पनपने की जगहें हैं.'

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'अपनी आजादी की रक्षा करें विश्वविद्यालय'
उप-राष्ट्रपति की राय में इस बात को लेकर पसोपेश है कि एक यूनिवर्सिटी को क्या होना चाहिए और क्या नहीं? उन्होंने संविधान से मिले असहमति और आंदोलन के अधिकार का भी समर्थन किया. उन्होंने कहा, ' विश्वविद्यालय प्रशासन को तब तक छात्रों और अध्यापकों की सोच के आड़े नहीं आना चाहिए जब तक हिंसा या गैर-कानूनी गतिविधियों का खतरा ना हो.' उन्होंने सलाह दी कि अपनी शैक्षणिक आजादी को बचाने के लिए विश्वविद्यालयों को जरूरत पड़ने पर कानून की मदद लेने भी नहीं चूकना चाहिए.

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