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2016 में पैलेट गन के वार से अपनी आंखें खो चुकी इंशा ने 10वीं की परीक्षा पास कर ली है. साहस का मिसाल बनी इंशा 2016 में पैलेट गन विरोध का चेहरा बन गई थी. प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ में पैलेट गन के वार जम्मू कश्मीर में इंशा द्वारा आंखें खो देने के बाद पैलेट गन का विरोध काफी मजबूत हुआ था.
नवंबर 2017 में इंशा ने 10वीं की परीक्षा दी थी. 2016 की जुलाई में शोपियां के एक गांव से 15 वर्षीय इंशा अपने घर की खिड़की से बाहर देख रही थी. इस दौरान सुरक्षा कर्मियों की पैलेट ने उसे आघात कर दिया था. पैलेट लगते ही इंशा की खूबसूरत दुनिया डरावने अंधेरे में तब्दील हो गई थी.
इंशा को इलाज के लिए एम्स के जयप्रकाश नारायण ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया गया था. वह अनजाने में सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हो रहे संघर्ष की शिकार हो गई थी. उस दौरान ही डॉक्टरों ने कहा था कि इलाज के बावजूद आंखों की रोशनी वापस आने की संभावना कम है. उस दौरान डॉक्टरों ने कहा था कि पेलेट गन के छर्रों से इंशा एक हद तक अंधी हो चुकी हैं. अब कॉर्निया ट्रांसप्लांट से भी उसकी आंखें ठीक नहीं हो सकतीं.
ऐसे में अपने हिम्मत और जज्बे से आखिरकार इंशा ने 10वीं की परीक्षा पास की. उसने अपनी कमजोरी को अपनी सफलता के बीच बाधा नहीं बनने दिया. आपको बता दें कि पेलेट गन के छर्रों की चोट लगने से उसके माथे और सिर में भी निशान बन गए थे और काफी चोटें आई थीं.
पैलेट गन की घटना के बारे में इंशा के पिता मुश्ताक अहमद ने बताया था कि 'मेरी बेटी प्रदर्शन में शामिल नहीं थी. वह घर पर अपने छोटे भाइयों के साथ खेल रही थी, तभी उसने बाहर कुछ शोर सुना वह भागकर घर के अंदर गई और खिड़की के पास खड़ी होकर बाहर देखने लगी. इसी दौरान पेलेट गन से निकले छर्रे उसके माथे और चेहरे में धंस गए.' आपको बता दें कि इंशा के इलाज के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उसके परिवार से मुलाकात की थी.
आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल का लगातार विरोध होता आ रहा है. यही वजह है कि सुरक्षाबलों को प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए कम घातक हथियार इस्तेमाल करने का आदेश जारी है, हालांकि माहौल बिगड़ने पर पैलेट गन का इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं पिछले एक साल से पैलेट गन के इस्तेमाल पर काफी कमी आई है.