
गुजरात में पाटीदारों की नाराजगी विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी को काफी भारी पड़ी थी. यही कारण है कि राज्य की विजय रुपाणी सरकार अब पाटीदारों को मनाने में जुटी है. पाटीदार आंदोलन के वक्त किए गए पुलिस लाठीचार्ज की राज्य सरकार अब आयोग के जरिए जांच करवाएगी.
सरकार के जरिए बनाया गया K.A. पुंज आयोग इस मामले की जांच करेगा. इसके लिए पुलिस दमन के शिकार पाटीदार परिवारों और गवाहों के बयान दर्ज किए जाएंगे. परिवारों और गवाहों को आयोग के सामने हलफनामा भी देना होगा.
आपको बता दें कि पाटीदार आंदोलन के वक्त जीएमडीसी मैदान में पाटीदारों पर हुए लाठीचार्ज और उसके बाद भड़की हिंसा में पुलिस ने किए दमन की जांच होगी. पिछले साल पुलिस दमन की जांच के लिए आयोग बनाया था. लेकिन जांच अब शुरू होगी.
आनंदी बेन को देना पड़ा था इस्तीफा
गौरतलब है कि बीते वर्ष पाटीदार आंदोलन के बाद दबाव में आईं आनंदीबेन ने अपना इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने यह कहकर इस्तीफा दिया था कि वह चाहती हैं कि अब उनकी जगह कोई युवा नेता आगे आए. उन्होंने अपना इस्तीफा फेसबुक पोस्ट के जरिए दिया था.
पाटीदार आंदोलन के बाद ही हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर जैसे नेता बनकर उभरे. जिन्होंने गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की नाक में दम करे रखा.
हार्दिक पटेल के नेतृत्व में 2015 में पटेल समुदाय ने आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन किया था. सरकारी नौकरी से लेकर कॉलेजों में एडमिशन में 10 फीसदी आरक्षण की मांग कर रहे थे. पटेल समुदाय का आंदोलन हिंसक रूप भी अख्तियार कर लिया था. इसके बाद से पटेल समुदाय बीजेपी से नाराज चल रहा था.