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SC/ST एक्ट को लेकर भारत बंद, व्यापक हिंसा में 11 की मौत, जानिए बड़े अपडेट्स

20 मार्च को कोर्ट ने SC/ST एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और गिरफ्तारी के लिए डीएसपी स्तर के अधिकारी की मंजूरी ज़रूरी कर दी थी. विपक्ष का आरोप है कि दलितों के इस मुद्दे पर सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. जबकि सरकार ने दावा किया है कि वो दलितों से नाइंसाफी नहीं होने देगी.

हिंसा के दौरान आगजनी हिंसा के दौरान आगजनी
अजीत तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 02 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 11:09 PM IST

एससी एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज बुलाए गए दलित संगठनों के भारत बंद में जमकर हिंसा देखने को मिली. हिंसा का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि मध्य प्रदेश में 7 लोगों की मौत हो गई है. जबकि राजस्थान में 1, बिहार में 1 और उत्तर प्रदेश में 2 व्यक्तियों की जान चली गई. 

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यूपी से भी बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी की तस्वीरें आई हैं. मुजफ्फरनगर में पुलिस थाना तो मेरठ में एक पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया गया. हिंसा की आंच दिल्ली तक भी पहुंची है. इस बीच सरकार ने आज SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. 

बता दें कि 20 मार्च को कोर्ट ने SC/ST एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और गिरफ्तारी के लिए डीएसपी स्तर के अधिकारी की मंजूरी ज़रूरी कर दी थी. विपक्ष का आरोप है कि दलितों के इस मुद्दे पर सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. जबकि सरकार ने दावा किया है कि वो दलितों से नाइंसाफी नहीं होने देगी.

मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 7 मौतें

मध्य प्रदेश में मरने वालों की संख्या 7 तक पहुंच गई है. इसमें मुरैना में 3 और ग्वालियर में 2 लोगों की मौत हुई है. वहीं, देवरा में भी एक व्यक्ति की मौत की खबर है. ग्वालियर में हुई लोगों की मौत के बाद पूरे शहर में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. सागर और ग्वालियर में दलितों के प्रदर्शन के बाद धारा 144 लागू कर दी गई है. 

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वहीं, लहार, गोहद और मेहगांव समेत भिंड के कुछ इलाकों में भी कर्फ्यू लगा दिया गया है. मुरैना स्टेशन क्षेत्र इलाके में दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया. इस दौरान पुलिस और मीडियकर्मी भी घायल हो गए. यहां छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस को रोककर, शीशे तोड़े गए.

उत्तर प्रदेश में 2 की मौत

राज्य में दलितों के हिंसक प्रदर्शन में अब तक 2 व्यक्ति की मौत हो चुकी है. वहीं, 35 लोग घायल हैं, इनमें से 3 की हालत गंभीर बताई जा रही है. डीआईजी (लॉ एंड ऑडर्र) के मुताबिक अब तक हिंसा के आरोप में 448 लोगों को हिरासत में लिया गया है. हिंसा के कारण मेरठ में सोमवार को दिल्ली-देहरादून हाइवे पूरी तरह से बंद कर दिया है. 

दलित प्रदर्शनकारियों ने मेरठ में एक पुलिस चौकी को फूंक दिया और 2 बसें समेत कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया. दिल्ली-गाजियाबाद रोड पर एम्स के डॉक्टरों की बस पर हमला किया. हालांकि, इसमें किसी के हताहत की खबर नहीं है. प्रदर्शनकारियों ने इलाहाबाद और गाजियाबाद में रेलवे ट्रैक जाम किया. मुजफ्फरनगर में मंडी थाने पर भी पत्थरबाजी की. हापुड़ में लोगों द्वारा पत्थरबाजी करने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया.

राजस्थान में भी 1 की मौत, 30 घायल

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हिंसा के दौरान राजस्थान के अलवर में पवन नाम के व्यक्ति की मौत हो गई. वहीं, हिंसक झड़प में करीब 30 लोग जख्मी हुए हैं. राजस्थान के बाड़मेर, अलवर, सीकर, झुंझुनू, जालौर और बीकानेर समेत कुल 6 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बैन की गई हैं. अलवर के दाउदपुर में रेल की पटरी उखाड़ दी गई. इसके कारण रेलवे लाइन बाधित हो गई. तीन वाहनों को आग के हवाले कर दिया. 

प्रदर्शनकारियों ने खैरथल थाने में आग लगा दी और डिप्टी एसपी की पिटाई कर दी. कलेक्टर आठ बजे तक इंटरनेट सेवा बंद कर दी है. भरतपुर में महिलाओं ने सड़क जाम किया. बाड़मेर में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़प में 25 लोग घायल हो गए. सांचौर और पुष्कर में 30 से ज्यादा मोटरसाइकिल को आग के हवाले कर दिया गया. इसके अलावा जयपुर में भीड़ ने शोरूम में भी तोड़फोड़ की. 

बिहार के शहरों में भी हिंसा की आग

हिंसा की आग बिहार के शहरों तक पहुंची, जहां एक बच्चे की एम्बुलेंस रुकवाए जाने के कारण मौत हो गई. हाजीपुर में बंद समर्थकों ने कोचिंग संस्थान पर हमला किया. छात्रों की साइकिल और डेस्क में आग लगा दी. इसके अलावा अररिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, जहानाबाद और आरा में भीम सेना के रेल रोकी और सड़कों पर जाम लगा दिया. गया में भी संघर्ष दिखाई दिया. पुलिस को यहां प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करना पड़ा.

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हरियाणा में जनश्ताब्दी पर पथराव

प्रदेश के लगभग सभी जिलों में प्रदर्शनकारियों के सड़कों पर उतरने की खबर है. फरीदाबाद में प्रदर्शनकारियों ने कोटा जनश्ताब्दी ट्रेन पर जमकर पथराव किया. फरीदाबाद चौकी इंचार्ज पर हुए हमले में तीन लोग घायल हो गए. पलवल में नेशनल हाइवे-2 पर पुलिस और प्रदर्शनकारी भीड़ के बीच संघर्ष हुआ. इस दौरान कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. हिसार और जींद में बस पर पत्थरबाजी की गई.

पंजाब में 10वीं और 12वीं की परीक्षा भी स्थगित 

पंजाब में भी भारत बंद का व्यापक असर देखने को मिला. पंजाब पुलिस ने एहतियातन लुधियाना में 4000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया है. वहीं पूरे प्रदेश में भारी पुलिसबल की तैनाती की गई है. बंद के चलते पंजाब में सभी स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं, साथ ही आज होने वाली सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की परीक्षा भी स्थगित कर दी गई है. पूरे प्रदेश में इंटरनेट सेवाएं सोमवार शाम तक बंद कर दी गई हैं. लोक इंसाफ पार्टी ने पंजाब में भारत बंद का समर्थन किया है.

झारखंड में 1500 लोग हिरासत में, 10 पुलिसकर्मी घायल

भारतबंद प्रदर्शन में रांची से 763 और सिंहभूम से 850 लोगों को हिरासत में लिया गया है. रांची में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में कई लोग घायल हो गए हैं. टाटानगर में दलित सेना के प्रदर्शनकारियों ने रेलवे ट्रैक को बाधित कर जमकर हंगामा किया. जमशेदपुर में ट्रक को आग लगा दिया गया. रांची वीमेंस कॉलेज के पास पुलिस और छात्र आपस में भिड़ गए. इसमें एसपी, डीएसपी समेत करीब 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए.

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उत्तराखंड गोली लगने से एक व्यक्ति घायल

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में प्रदर्शनकारियों ने जबरदस्ती दुकानों को बंद कराया. वहीं, रुड़की और हरिद्वार में प्रदर्शनकारियों के हंगामे के दौरान पुलिस पर पत्थराव किया गया, जिसमें एक पत्रकार और पुलिसकर्मी घायल हो गए. इस दौरान भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी. इसमें एक व्यक्ति घायल हो गया. उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच ने भी इस प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. हरिद्वार मे पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया है. जानकारी के मुताबिक, रुड़की और हरिद्वार के कुछ इलाकों में केबल टीवी पर भी रोक लगाई गई है.

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महाराष्ट्र में दुकानें बंद रहीं

प्रदेश के नंदुरबार में भीम सेना के कार्यकर्ताओं ने शहर की दुकानों को जबरदस्ती बंद करवाया. प्रदर्शनकारियों ने सोलापुर-पंढरपुर हाईवे जाम कर दिया. हिंसा के डर से सोलापुर में दुकानें बंद रहीं. 

क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग

उल्लेखनीय है कि प्रदर्शनकारी SC/ST एक्ट में बदलाव का विरोध कर रहे हैं. दलितों और आदिवासियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश उनका जीना मुश्किल कर देगा. इन संगठनों की मांग है कि अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 में संशोधन को वापस लेकर एक्ट को पूर्व की तरह लागू किया जाए. हालांकि, सरकार ने मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है जो कोर्ट के पास पड़ी हुई है.

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क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

इधर केंद्र सरकार ने एससी एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को तमाम दलित संगठनों समेत कई राजनीतिक दलों ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया था। सरकार ने इसपर सफाई देने के लिए रामविसाल पासवान को आगे किया था। लेकिन बीजेपी के अपने ही कई सांसदों ने सरकार पर हमला बोल रखा है।

दरअसल, दलित और आदिवासी 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से भड़के हुए हैं. इस फैसले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 को बदल दिया है. कानून में लिखा है कि दलित आदिवासी के उत्पीड़न के आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी होनी चाहिए. लेकिन कोर्ट ने आदेश दिया था कि एससी-एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी नहीं की जाए.

कोर्ट ने कहा कि दलित उत्पीड़न के मामलों में अग्रिम जमानत को मंजूरी दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस 7 दिनों की जांच के बाद ही गिरफ्तारी के बारे में सोचे और इसके बाद भी एसएसपी से नीचे के अफसर की मंजूरी के बिना गिरफ्तारी नहीं होगी. अगर आरोपी सरकारी अधिकारी है तो उसे नियुक्त करने वाले अफसर से मंजूरी लेनी होगी.

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