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जल्लीकट्टू पर शशिकला ने पीएम को लिखा पत्र, अध्यादेश लाने की मांग

अन्नाद्रमुक लगातार इस मसले पर केंद्र सरकार से जल्लीकट्टू को लागू करने के लिए अपील कर रही है. राज्य के मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम भी पीएम मोदी से इस संबंध में अपील कर चुके हैं. शशिकला ने मोदी को पत्र लिखकर कहा है, पशुओं के साथ किसी तरह की क्रूरता नहीं की जाती.

सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू पर लगाया है बैन सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू पर लगाया है बैन
प्रमोद माधव/सुप्रिया भारद्वाज
  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 3:43 PM IST

एआईडीएमके की महासचिव वीके शशिकला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर जल्लीकट्टू मसले पर हस्तक्षेप करने की मांग की है. शशिकला ने मोदी को लिखी गई चिट्ठी में यह अनुरोध किया है कि वे तमिलनाडु की संस्कृति और परंपरा को बनाए रखने के लिए पीसीए अधिनियम में संशोधन करवाएं ताकि जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध हट सके. शशिकला ने इस संबंध में अध्यादेश लाने की भी मांग की है. शशिकला ने जलीकट्टू मसले को बहुत ही महत्वपूर्ण और जरूरी बताया है. इसके अलावा उन्होंने इस मुद्दे पर मोदी के 'सौम्य विचार' भी मांगे हैं ताकि जल्लीकट्टू के लिए जरूरी इंतजाम और कार्रवाई की जा सके.

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अन्नाद्रमुक लगातार इस मसले पर केंद्र सरकार से जल्लीकट्टू को लागू करने के लिए अपील कर रही है. राज्य के मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम भी पीएम मोदी से इस संबंध में अपील कर चुके हैं. शशिकला ने मोदी को पत्र लिखकर कहा है, पशुओं के साथ किसी तरह की क्रूरता नहीं की जाती. तमिलनाडु में देवता मानकर सांड की पूजा की जाती है और उनको काबू में करने का प्रयास करने वाले युवा इस बात का ख्याल रखते हैं कि उनको किसी तरह का दर्द ना हो. उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध से तमिलनाडु के लोगों में रोष बढ़ा है और खासकर युवाओं में. इसे खत्म करने के लिए सभी तरह के प्रयास किये जाने चाहिए.

राज्य पर्यावरण मंत्री अनिल दवे ने निवेदन किया है कि इस साल इस परंपरागत खेल के आयोजित करने की अनुमति दी जाए. एआईडीएमके के सांसदों ने इस मसले पर उनसे मुलाकात भी की है. वहीं अन्नाद्रमुक के ही एम थंबिदुरई ने कहा कि सरकार इसकी परंपरा को देखने के लिए कुछ अध्यादेश ला सकती है. यदि आप लोकतंत्र में एकमात्र न्यायपालिका के साथ चलते हैं तो वह समाधान नहीं. मेरी दरख्वास्त है कि इस साल जल्लीकट्टू को निर्विरोध चलने दिया जाए.

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अभिनेत्री और कांग्रेस प्रवक्ता खुशबू सुंदर ने एआईडीएमके और बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि जल्लीकट्टू 2015 के बाद से नहीं हो रहा है. क्यों पिछले दो साल में इस पर कुछ नहीं किया गया? वे केवल पोंगल के पास आने पर क्यों इस मामले को उठा रहे हैं? अन्नाद्रमुक और बीजेपी लोगों को गुमराह कर रहे हैं. दोनों दल तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं के साथ खेल रहे हैं. खुशबू ने कहा कि सिर्फ एक संशोधन कर प्रतिबंध हटाया जा सकता है, जो कि संसद में होगा. लेकिन पोंगल करीब आने पर वो दिखावा कर रहे हैं. निश्चित रूप से जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध समाप्त किया जाना चाहिए. हम नियमों के तहत जल्लीकट्टू का संचालन कर सकते हैं.

कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा कि आप नियंत्रण और संतुलन रख सकते हैं, लेकिन जल्लीकट्टू को खत्म नहीं कर सकते. जल्लीकट्टू वहां रहने वाले लोगों की संस्कृति का एक हिस्सा है.

क्या है जल्लीकट्टू
तमिलनाडु में मकर संक्रांति का पर्व पोंगल के रूप में मनाया जाता है. पोंगल के मौके पर एक खास बैल दौड़ का आयोजन किया जाता है. पोंगल के त्योहार में मुख्य रूप से बैल की पूजा की जाती है क्योंकि बैल के माध्यम से किसान अपनी जमीन जोतता है. इसी के चलते बैल दौड़ का आयोजन किया जाता है. इस समारोह को जल्लीकट्टू प्रथा नाम से जानते हैं.

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आंकड़ों के अनुसार 2010 से 2014 के बीच जल्लीकट्टू खेलते हुए 17 लोगों की जान गई थी और 1,100 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे. वहीं पिछले 20 सालों में जल्लीकट्टू की वजह से मरने वालों की संख्या 200 से भी ज्यादा थी. इस वजह से साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ क्रूअलटी टू एनिमल एक्ट के तहत इस खेल को बैन कर दिया था.

ये थी कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जल्लीकट्टू के महज सदियों पुरानी प्रथा होने के कारण इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता. जल्लीकट्टू के सदियों पुरानी होने भर से यह नहीं कहा जा सकता कि यह कानूनी या कानून के तहत अनुमति देने योग्य है. जल्लीकट्टू पर बैन को जायज ठहराने के लिए कोर्ट ने बालविवाह की बात भी कही थी. कोर्ट ने कहा था सदियों से 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की शादी होती थी. क्या इसका यह मतलब है कि बाल विवाह कानूनी है? कोर्ट ने जलीकट्टू पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि जलीकट्टू को क्या इजाजत दे देनी चाहिए भले ही वो 5000 साल पुरानी परंपरा हो और कानून के दायरे से बाहर हो.

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