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उत्तर प्रदेश के बांदा में बंदूकों के बल पर लुट रहा पानी

कभी डकैतों के गढ़ रहे बुंदेलखंड में अब पानी भी लूटा जाने लगा है. यहां के चित्रकूट धाम मंडल में पानी के संकट से दर्जनभर गावों के लोग परेशान हैं. इन गांवों में पाइप लाइनें तो हैं, लेकिन उन पाइप लाइनों का पानी लूट लिया जाता है. दर्जनभर गांवों का पानी मात्र तीन गांव के लोग बंदूकों के बल पर लूट लेते हैं.

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aajtak.in
  • बांदा (उप्र),
  • 31 मई 2015,
  • अपडेटेड 9:23 PM IST

कभी डकैतों के गढ़ रहे बुंदेलखंड में अब पानी भी लूटा जाने लगा है. यहां के चित्रकूट धाम मंडल में पानी के संकट से दर्जनभर गावों के लोग परेशान हैं. इन गांवों में पाइप लाइनें तो हैं, लेकिन उन पाइप लाइनों का पानी लूट लिया जाता है. दर्जनभर गांवों का पानी मात्र तीन गांव के लोग बंदूकों के बल पर लूट लेते हैं.

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हैरान करने वाली बात तो यह है कि हालात से वाकिफ सरकारी अफसर पानी के इंतजाम पर टका-सा जवाब देकर लोगों को चलता कर देते हैं. पानी की रोजाना हो रही इस लूट के कारण दर्जन भर गावों के लोग प्यासे मर रहे हैं. यही हालत कमोबेश यहां के पशु, पक्षियों की भी है.

बांदा जल संस्थान भूरागढ़ से जुड़े गुसयारी, फत्तेपुर, कपसा, टिकरी, चांदी, भभई, बिहरका, इचैली और नायक पुरवा गावों के लोगों को पानी की भारी किल्लत से जूझना पड़ रहा है. इन गांवों में पानी की टंकियां और पाइप लाइनें बिछी होने के बाद भी यहां के लोगों को तकरीबन एक माह से पानी की एक बूंद भी नसीब नहीं हुई है.

क्षेत्र के ग्रामीणों की मानें, तो बांदा जल संस्थान भूरागढ़ से चालू होने वाली पानी की टंकियों के समीप स्थित तीन गांव गोयरा, अछरोड़ और मोहनपुरवा के लोग पानी लूट लेते हैं. वे अपने साथ बंदूकें लिए होते हैं, इसीलिए कोई उनका विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता.

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ग्रामीणों ने बताया कि पानी लूटने और उसकी किल्लत होने की शिकायत मौदहा तहसील के तहसीलदार से लेकर जिलाधिकारी हमीरपुर, चित्रकूट धाम मंडल की आयुक्त और राज्य की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद से लेकर मंडलीय अभियंता तक से की गई है. लेकिन किसी ने भी उसकी समस्या जानने की जहमत नहीं उठाई.

कुछ ग्रामीणों ने तो यह भी आरोप लगाया कि भूरागढ़ स्थित मंडलीय जल संस्थान के जिस बिंदु से पानी की सप्लाई शुरू होती है, वहां के कनिष्ठ अभियंता पानी के बदले रिश्वत की मांग करते हैं.

देश में दबंगों की दबंगई के चलते लोगों को हो रही परेशानियों की यह एक बानगी मात्र हैं. इस गांव के पानी के संकट और अधिकारियों की अनदेखी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्यास के कारण यहां पर अभी तक कई पशु-पक्षियों की जान चली गई है.

सच तो यह है कि ग्रामीणों को अपनी जान बचाने के लिए दो रुपये प्रति लीटर की दर से पानी खरीदना पड़ रहा है. आलम यह है कि यहां के लोग पानी मिलने के कारण होने वाली बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें महामारी का डर सता रहा है.

- इनपुट IANS

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