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दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में 10 सैनकों की मौत हो जाने के बाद सियाचिन विवाद फिर से सुर्खियों में आ गया है. दरअसल हाल ही में भारतीय सेना के 10 जवान सियाचिन में हिमस्खलन के कारण बर्फ के नीचे दब गए थे. इनमें से एक जवान हनुमंतप्पा कोप्पाड को 6 दिनों के बाद जिंदा तो निकाल लिया गया मगर कई अंगों के काम नहीं करने के कारण उनकी मृत्यु हो गई. यह पहली बार नहीं हुआ है जब हिंदुस्तानी सैनिक की मौत सियाचीन में बर्फ के अंदर दबने से हो गई हो.
इससे पहले भी सैकड़ों हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी सैनिक हिमस्खलन के कारण अपनी जान यहां गंवा चुके हैं. लेकिन दोनों देशों में से कोई भी देश यहां से अपनी सेना को हटाने के लिए तैयार नहीं है. जानिए क्या है सियाचिन विवाद और यह क्षेत्र भारत के लिए क्यों है महत्वपूर्ण...
1. सियाचिन विवाद: समुद्र तल से 16-18 हजार फीट ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर के एक तरफ पाकिस्तान की सीमा है तो दूसरी तरफ चीना की सीमा अक्साई चीन इस इलाके में है. दोनों देशों पर नजर रखने के हिसाब से यह क्षेत्र भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है. 1984 में पाकिस्तान सियाचिन पर कब्जे की तैयारी में था लेकिन सही समय पर इसकी जानकारी होने के बाद सेना ने ऑपरेशन मेघदूत लॉन्च किया. 13 अप्रैल 1984 को सियाचिन ग्लेशियर पर भारत ने कब्जा कर लिया. इससे पहले इस क्षेत्र में सिर्फ पर्वतारोही आते थे. अब यहां सेना के अलावा किसी दूसरे के आने की मनाही हो गई. 2003 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम संधि हो गई. उस समय से इस क्षेत्र में फायरिंग और गोलाबारी होनी बंद हो गई है.
विवाद की वजह: 1972 के शिमला समझौते में इस इलाके को बेजान और बंजर करार दिया गया यानि यह इलाका इंसानों के रहने के लायक नहीं है. इस समझौते में यह नहीं बताया गया कि भारत और पाकिस्तान की सीमा सियाचिन में कहां होगी. उसके बाद से इस क्षेत्र पर पाकिस्तान ने अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया. इस ग्लेशियर के ऊपरी भाग पर फिलहाल भारत और निचले भाग पर पाकिस्तान का कब्जा है.
सियाचिन में जवानों का सबसे बड़ा दुश्मन: भारत और पाकिस्तान दोनों देश के जितने सैनिक यहां आपसी लड़ाई के कारण नहीं मारे गए हैं, उससे भी कहीं ज्यादा सैनिक यहां ऑक्सीजन की कमी और हिमस्खलन के कारण मारे गए हैं. यहां ज्यादातर समय शून्य से भी 50 डिग्री नीचे तापमान रहता है. एक अनुमान के मुताबिक अब तक दोनों देशों को मिलाकर 2500 जवानों को यहां अपनी जान गंवानी पड़ी है. एक वेबसाइट के आंकड़ो की माने तो 2012 में पाकिस्तान के गयारी बेस कैंप में हिमस्खलन के कारण 124 सैनिक और 11 नागरिकों की मौत हो गई थी.