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जानिए क्या है आदर्श सोसायटी घोटाला?

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई की विवादित आदर्श हाउसिंग सोसाइटी की इमारत गिराने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने मामले में शामिल राजनेताओं और ब्यूरोक्रैट्स के खिलाफ भी कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं. आइए आपको बताते हैं यह पूरा मामाल क्या है...मामले में कौन-कौन मुख्य आरोपी हैं और अभी तक कितनी जांच पूरी हो चुकी है.

प्रियंका झा
  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 5:49 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई की विवादित आदर्श हाउसिंग सोसाइटी की इमारत गिराने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने मामले में शामिल राजनेताओं और ब्यूरोक्रैट्स के खिलाफ भी कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं. आइए आपको बताते हैं यह पूरा मामला क्या है...मामले में कौन-कौन मुख्य आरोपी हैं और अभी तक कितनी जांच पूरी हो चुकी है.

क्या है 'आदर्श सोसायटी'?
महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के कोलाबा में आदर्श हाउसिंग सोसायटी बनाई गई. यह 31 मंजिला पौश इमारत युद्ध में मारे गए सैनिकों की विधवाओं और भारतीय रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के लिए बनाई गई थी.

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क्या है मामला?
सोसायटी बनने के कुछ सालों बाद एक आरटीआई से यह खुलासा हुआ कि तमाम नियमों को ताक पर रख सोसायटी के फ्लैट ब्यूरोक्रैट्स, राजनेताओं और सेना के अफसरों को बेहद कम दामों में बेचे गए. इस घोटाले का पर्दाफाश 2010 में हुआ. इस मामले में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हान को इस्तीफा देना पड़ा.

इमारत गिराने के मिले आदेश
21 दिसंबर 2010 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि यह सीधे-सीधे धोखेबाजी का मामला है. इसके बाद कोर्ट ने सोसायटी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. पर्यावरण नियमों को दरकिनार करने की वजह से केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सिफारिश की कि इस इमारत को तीन महीने के अंदर गिरा दिया जाए.

ये भी पढ़ें: बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदर्श सोसायटी को गिराने का आदेश दिया

2011 में न्यायिक जांच के आदेश
मामले की जांच के लिए 2011 में महाराष्ट्र सरकार ने दो सदस्यीय न्यायिक कमिशन का गठन किया. इसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जेए पाटिल ने की. 2 साल तक इस समिति ने 182 से ज्यादा गवाहों से पूछताछ की और अप्रैल 2013 में अपनी रिपोर्ट सौंपी.

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4 पूर्व मुख्यमंत्रियों पर भी आई आंच
समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कुल 25 फ्लैट गैरकानूनी तौर पर आवंटित किए गए थे. इनमें से 22 फ्लैट फर्जी नाम से खरीदे गए थे. इस रिपोर्ट में महाराष्ट्र के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों का भी नाम आया. इनमें अशोक चव्हाण, विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे और शिवाजीराव निलंगेकर पाटिल शामिल थे. इनके अलावा दो पूर्व शहरी विकास मंत्री राजेश तोपे और सुनील ततकारे और 12 ब्यूरोक्रैट्स के नाम रिपोर्ट में गैरकानूनी गतिविधयों को लेकर शामिल किया गया. जिन लोगों को फ्लैट आवंटित किया गया था उनमें देवयानी खोब्रागड़े का भी नाम है.

कौन कर रहा है जांच
मौजूदा समय में मामले की जांच सीबीआई, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और प्रवर्तन निदेशालय कर रहे हैं. अभी तक सरकार और सेना की ओर से कई जांच की जा चुकी है.

पर्यावरण नियमों के उल्लंघन का भी आरोप
आदर्श सोसायटी को लेकर एक मामला यह भी है कि यह इमारत बेहद संवेदनशील तटवर्ती क्षेत्र में बनाई गई है. यह नौसेना की जमीन पर बनाया गया और इसके निर्माण से पहले नौसेना से 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' नहीं लिया गया.

अभी तक कितनी गिरफ्तारियां
सीबीआई कोर्ट ने कुल 8 गिरफ्तारियां की. इसमें दो रिटायर्ड मेजर जनरल टीके ठाकुर और एआर कुमार, रिटायर्ड ब्रिगेडियर एमएम वांचू, पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग ऑफ महाराष्ट्र, प्रमोटर कन्हैयालाल गिडवानी और प्रदीप व्यास और शहर के तत्कालीन कलेक्टर, महाराष्ट्र सरकार में फाइनेंस सेक्रेटरी भी शामिल हैं. इसके बाद 2012 में महाराष्ट्र सरकार ने दो IAS अफसरों को सस्पेंड करने की घोषणा की थी.

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चार्जशीट फाइल न करने की वजह से बेल
मई 2012 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 7 लोगों को रिहा कर दिया. इसकी वजह 60 दिन के अंदर चार्जशीट फाइल न कर पाना था.

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