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बिहार में NDA की हार के गुनहगार की तलाश शुरू, संघ प्रमुख मोहन भागवत पर उठी उंगलियां

बिहार की हार पर एनडीए के भीतर मंथन शुरू हो गया है. हार की जिम्मेदारी फिलहाल किसी ने नहीं ली है. लेकिन इसे लेकर आरोप, प्रत्यारोप जरूर लगने लगे हैं.

विकास वशिष्ठ
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2015,
  • अपडेटेड 4:49 PM IST

बिहार की हार पर एनडीए के भीतर मंथन शुरू हो गया है. हार की जिम्मेदारी फिलहाल किसी ने नहीं ली है. लेकिन इसे लेकर आरोप, प्रत्यारोप जरूर लगने लगे हैं. पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक से पहले बीजेपी सांसद हुकुमदेव नारायण ने संघ प्रमुख मोहन भागवत पर हार का ठीकरा फोड़ दिया.

इसके बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की भागवत से हुई बातचीत सामने आई, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके बयान से कोई फर्क नहीं पड़ा. फिर एलजेपी सांसद चिराग पासवान ने कह दिया कि मोहन भागवत ही जिम्मेदार हैं. इसे पीएम मोदी की हार भी कहा जा रहा है, हालांकि किसी ने उनका नाम खुलकर नहीं लिया.

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चिराग बोले- बीफ बन गया था मुद्दा
चिराग पासवान ने कहा कि 'हार के लिए काफी हद तक मोहन भागवत का आरक्षण पर दिया बयान जिम्मेदार है. नकारात्मक प्रचार और एनडीए में सीटों का बंटवारा भी सही तरीके से नहीं हुआ. ये भी हार की एक वजह है. हमें बयानबाजी से बचना चाहिए था. विकास का मुद्दा लोगों को समझा ही नहीं पाए. बीफ मुद्दे को बेवजह अहमियत दे दी गई.

और अमित शाह ने यह कहा
शाह ने कहा कि भागवत के बयान से कोई असर नहीं पड़ा. पिछड़ी जातियां केवल नीतीश और लालू को ही अपना नेता मानती हैं. इस चुनाव में वे एकजुट हो गईं और उन्होंने लालू-नीतीश को ही वोट दिए. यह अगड़ों-पिछड़ों का मुकाबला बन गया था.

हुकुमदेव ने तो नसीहत भी दी
हुकुमदेव ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर दिया गया मोहन भागवत का बयान हार के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है. यह बयान गलत समय आया, जिसके चलते पार्टी का वोट बैंक खिसक गया. आरएसएस से सुझाव लिए जा सकते हैं, पर सार्वजनिक रूप से नहीं.

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भागवत के इस बयान पर बवाल
दरअसल, भागवत का संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में 21 सितबंर को एक इंटरव्यू छपा था. इसमें उन्होंने आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव की वकालत की थी. उन्होंने कहा था कि सरकार को मौजूदा आरक्षण नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए.

 

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