Advertisement

किसके हाथ में रहेगी अरुणाचल की कमान?

उत्तराखंड में हारने के बाद बीजेपी अब अरुणाचल में अपनी प्रतिष्ठा बचाने में जुटी हुई है, साथ ही कांग्रेस भी राज्य में अपनी सरकार बचाने में लगी हुई है. क्योंकि भले ही नबाम तुकी मुख्यमंत्री बन गए हों लेकिन उनको अभी बहुमत साबित करना होगा.

प्रियंका झा/मनोज्ञा लोइवाल
  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 9:40 AM IST

अरुणाचल प्रदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसले से बुधवार को सियासी गलियारों में तो उठा-पटक का दौर चला ही. लेकिन एक सवाल जिसने आम जनता के मन में भी घर कर लिया है, वह है कि आखिर अरुणाचल की कमान किसके हाथ होगी? कलिखो पुल SC के फैसले के बाद से मुख्यमंत्री नहीं रहे. नबाम तुकी ने बुधवार देर शाम मुख्यमंत्री का पद संभाल तो लिया लेकिन उनके पास बहुमत नहीं है.

Advertisement

सिर्फ 5 महीनों के अंदर ही कलिखो पुल ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर पद गंवा दिया. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दिसंबर 2015 जैसी स्थिति बहाल करने को कहा गया. कई महीनों के राजनीतिक संकट से जूझने के बाद इसी साल फरवरी में बीजेपी के समर्थन से अरुणाचल प्रदेश में सरकार बनी थी.

नबाम तुकी राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर फिर से बहाल किया गया है. उन्होंने अपना काम भी शुरू कर दिया है. लेकिन अब अरुणाचल को लेकर बीजेपी और कांग्रेस की तकरार और भी बढ़ सकती है.

उत्तराखंड में हारने के बाद बीजेपी अब अरुणाचल में अपनी प्रतिष्ठा बचाने में जुटी हुई है, साथ ही कांग्रेस भी राज्य में अपनी सरकार बचाने में लगी हुई है. क्योंकि भले ही नबाम तुकी मुख्यमंत्री बन गए हों लेकिन उनको अभी बहुमत साबित करना होगा.

Advertisement

अरुणाचल विधानसभा में 60 विधायक हैं और किसी को भी बहुमत साबित करने के लिए 31 विधायकों का समर्थन होना जरूरी है. खास बात यह है कि नबाम तुकी से नाराज होकर 20 विधायक दिसंबर में ही बागी हो चुके हैं. साथ ही दो की सदस्यता पर पहले ही हाईकोर्ट सवाल उठा चुका है. अरुणाचल प्रदेश राजनीतिक स्तर पर बहुत रोचक बन गया है. अब देखना होगा कि ये लड़ाई आखिरकार कौन जीतेगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement