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अपने आतंकियों का दुश्मन बना बगदादी कर रहा है कत्ल-ए-आम

बगददी अपने ही आतंकतवादी संगठन आईएसआईएस का दुश्मन बन गया है. इसी शुक्रवार को बगदादी के हुक्म पर आईएसआईएस के ही बीस आतंकवादियों के सिर कलम कर दिए गए. इन बीसों का कुसूर ये था कि वो इराकी फैज से डर कर मोर्चा छोड़ कर भाग गए थे.

अपने ही आतंकियों का दुशमन बना बगदादी अपने ही आतंकियों का दुशमन बना बगदादी
आदर्श शुक्ला/शम्स ताहिर खान
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 5:40 PM IST

बगददी अपने ही आतंकतवादी संगठन आईएसआईएस का दुश्मन बन गया है. इसी शुक्रवार को बगदादी के हुक्म पर आईएसआईएस के ही बीस आतंकवादियों के सिर कलम कर दिए गए. इन बीसों का कुसूर ये था कि वो इराकी फैज से डर कर मोर्चा छोड़ कर भाग गए थे.

खबरों के मुताबिक इन बीस लोगों में चार हिंदुस्तानी भी थे. मौत की जिन खौफनाक तस्वीरों को दिखा कर आईएसआईएस ने पूरी दुनिया में दहशत फैलाई अब उन्ही तस्वीरों में खुद उसी आईएसआईएस के आतंकवादी कैद होने लगे हैं. जैसे-जैसे इराक में आईएसआईएस की पकड़ ढीली पड़ती जा रही है और एक-एक कर उसके कब्जे वाले इराकी शहर उसके हाथ से निकलते जा रहे हैं उससे खुद आईएस के आतंकवादियों की शामत आ गई है. इराक के मौसूल शहर के एक मोर्चे से भागे आईएसआईएस के ऐसे ही बीस आतंकवादियों को खुद बगदादी ने मौत के घाट उतार दिया. बाकायदा बीच चौराहे पर सैकड़ों लोगों के सामने इन सभी के सिर कलम कर दिए गए.

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खबर है कि इन बीस लोगों में चार वो हिंदुस्तानी भी थे जो आईएस की तरफ से लड़ने हिंदुस्तान से इराक गए थे.च खबर के मुताबिक सीरिया और इराक में बगदादी के लिए लड़ रहे 17 भारतीयों में से चार भारतीय भी इराकी शहर मोसूल के उस मोर्चे पर तैनात थे जहां इराकी फौज ने धावा बोला था. इराकी फौज के हमले से घबरा कर आईएस के तमाम आतंकवादी मोसूल का वो मोर्चा छोड़ कर भाग निकले थे. इराकी समाचार एजेंसी के मुताबिक मोसूल के मोर्चे से भागने के बाद आईएस के इन सभी आतंकवादियों को शुक्रवार को शहर के बाहरी हिस्से के एक चेक-प्वाइंट पर पकड़ा गया. इसके बाद उऩकी शिनाख्त होते ही सभी को पश्चिमी मोसूल के शरिया अदालत में पेश किया गया.

अदालत में सभी को उनका कुसूर बताया गया. फिर हुक्म सुनाया गया कि बिना खलीफा यानी बगदादी के मोर्चा छोड़ कर भागना यानी पीठ दिखाना है. और ऐसे लोग भगौडों की गिनती में आते हैं. जिसकी सजा मौत है. इसी के बाद शरिया अदालत ने अपने सभी बीस आतंकवादियों का सरेआम सिर कलम करने का फैसला सुना दिया. इस फैसले के अगले ही दिन मध्य मोसूल में सभी बीस आतंकवादियों को कतार में खड़ा किया गया. तब वो सैकड़ों लोग मौजूद थे.

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इनमें से अधिकांश आईएस के आतंकवादी और कमांडर थे. इन लोगों को इसलिए इकट्ठा किया गया था ताकि वो भी इस सजा से डरें और कभी मोर्चा छोड़ कर ना भागें. इसके बाद उन सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में ही बीसों आईएस आतंकवादियों के सिर कलम कर दिए गए. यानी इस बार सिर कलम करने वाले भी आईएस के आतंकवादी के थे. और जिनके सिर कलम किए गए वो भी आईएस के आतकंवादी.

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