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नोटबंदी एक भूल थी तो मान क्यों नहीं लेती मोदी सरकार

नोटबंदी का एक महीना पूरा होने पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि हम देश में नकद लेनदेन की व्यवस्था को खत्म करके देश को कैशलेस इकोनॉमी में बदलना चाहता है. जेटली का यह बयान मोदी सरकार के 8 नवंबर को आए नोटबंदी के ऐलान के बाद सबसे अहम है. 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी के पीछे तर्क दिया कि इससे भ्रष्टाचार, कालाधन और आतंकवाद पर लगाम लगेगी.

क्या नोटबंदी से मची अफरा तफरी के लिए सरकार जिम्मेदार क्या नोटबंदी से मची अफरा तफरी के लिए सरकार जिम्मेदार
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:46 PM IST

नोटबंदी का एक महीना पूरा होने पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि हम देश में नकद लेनदेन की व्यवस्था को खत्म करके देश को कैशलेस इकोनॉमी में बदलना चाहता है. जेटली का यह बयान मोदी सरकार के 8 नवंबर को आए नोटबंदी के ऐलान के बाद सबसे अहम है. 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी के पीछे तर्क दिया कि इससे भ्रष्टाचार, कालाधन और आतंकवाद पर लगाम लगेगी.

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जेटली के बयान के बाद शुक्रवार को पूर्व-प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बार फिर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केन्द्र सरकार का नोटबंदी फैसला आने वाले दिनों में ईमानदार नागरिकों को गंभीर नुकसान पहुंचाएगी, वहीं बेईमान लोगों का इससे बाल भी बांका नहीं होगा. सिंह ने कहा कि अगले कुछ महीनों में यह पूरी तरह साफ हो जाएगा कि इस फैसले का गंभीर नुकसान सिर्फ और सिर्फ आम आदमी को उठाना पड़ेगा.

नोटबंदी पर अब तक प्रधानमंत्री मोदी ने क्या-क्या कहा

8 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- भ्रष्टाचार और कालेधन को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार 500 और 1000 रुपये की करेंसी को बंद कर रही है. इस करेंसी का एंटी-नैशनल और एंटी सोशल तत्व इस्तेमाल करने लगे थे. इस कदम के बावजूद इमानदार और मेहनती लोगों के हितों की पूरी रक्षा की जाएगी.

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13 नवंबर को प्रधानमंत्री ने डिमॉनेटाइजेशन पर कहा- मुझे कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए चुना गया और मैं वही कर रहा हूं. (गोवा में एयरपोर्ट का उद्घाटन करते वक्त कहा)

22 नवंबर को प्रधानमंत्री ने कहा - डिमॉनेटाइजेशन भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ अंतिम नहीं पहली लड़ाई है. पार्टी के संसदीय दल से बात करते हुए मोदी ने सांसदों से कहा कि वह डिमॉनेटाइजेशन के खिलाफ विपक्ष के दुष्प्रचार का जनता के बीच मुकाबले करें. इसके बाद एक बुक रिलीज पर मोदी ने कहा कि मुझ पर आरोप लग रहा है कि डिमॉनेटाइजेशन की सरकार ने पूरी तैयारी नहीं की थी. लेकिन मेरा कहना है कि हमारी सरकार ने इसके परिणामों से बचने का मौका नहीं दिया.

25 नवंबर को प्रधानमंत्री ने कहा- मैं गरीब और मध्यम वर्ग के हितों की रक्षा करना चाहता हूं. आज लोग स्कूल, अस्पताल और जमीन खरीदते वक्त घूस देने पर विवश हैं. लिहाजा नोटबंदी के कदम के बाद में आम आदमी से मिल रहे समर्थन के लिए शुक्रगुजार हूं. (भटिंडा रैली के दौरान कहा)

27 नवंबर को प्रधानमंत्री ने कहा- पहले कालाधन जमा कर रखने वाले लोग अब डिमॉनेटाइजेशन के बाद उसे व्यवस्था में वापस लाने के लिए गरीब आदमी का इस्तेमाल कर रहे हैं. लिहाजा मैं अपील करता हूं कि गरीब आदमी का इस्तेमाल न किया जाए और न ही कोई व्यक्ति किसी अन्य के कालेधन को अपने खाते में जमा करने का जोखिम उठाए.

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सरकार अब बेनामी संपत्ति के एक्ट को लागू करेगी और उन सभी लोगों की परेशानी बढ़ जाएगी जिनके पास बेनामी संपत्ति मौजूद है. अपने मन की बात कार्यक्रम के दौरान यह कहते हुए मोदी ने कहा.

फिर उत्तर प्रदेश की एक चुनावी सभा में मोदी ने कहा कि मैं देश में भ्रष्टाचार को बंद करना चाहता हूं और विपक्ष देश को बंद करना चाहता है.

नोटबंदी क्या महज जल्दबाजी में उठाया गया कदम
केन्द्र सरकार में रेवेन्यू सेक्रेटरी हंसमुख अधिया ने कहा सरकार को उम्मीद है कि नोटबंदी से पहले संचालित 500 रुपये और 1000 रुपये की कुल करेंसी अब देश में बैंको के पास वापस आ जाएगी. इससे इनकम टैक्स विभाग 8 नवंबर के बाद हुए सभी ट्रांजैक्शन की जांच कर कालाधन रखने वाले लोगों पर जुर्माना लगा सकेगी.

केन्द्र सरकार ने जब 8 नवंबर को नोटबंदी लागू की तब कई आर्थिक जानकारों ने दावा किया था कि सर्कुलेशन में 500 रुपये और 1000 रुपये की कुल करेंसी 14.17 लाख करोड़ की है और सरकार के इस कदम से एक बड़ी रकम जो कि कालाधन के रूप में है बैंकिग व्यवस्था में वापस नहीं आ पाएगी. लेकिन खुद रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े कह रहे हैं कि लगभग 12 लाख करोड़ रुपये की रकम बैंकों में जमा हो चुकी है और 31 दिसंबर में बचे हुए नोटों का अधिकांश हिस्सा भी बैंक तक पहुंच जाएंगे.

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हाल में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया कि 500 रुपये और 1000 रुपये की प्रतिबंधित करेंसी में से कुल 2.5 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग व्यवस्था से बाहर हो जाएंगे. इस आधार पर स्टेट बैंक ने दावा किया था कि यह रकम केन्द्र सरकार के लिए विंडफॉल गेन का काम करेगी और रिजर्व बैंक के ऊपर से बोझ कम करेगी.

अब उद्देश्य बदलने की कवायद?
इससे एक बात साफ है कि कालेधन पर लगाम लगाने की कवायद में केन्द्र सरकार की उम्मीद पर पूरी तरह से पानी फिर चुका है. दरअसल, केन्द्र सरकार को उम्मीद थी कि नोटबंदी लागू कर वह बड़े मात्रा में कालेधन को बैंकिग सिस्टम से बाहर करने में सफल होंगे और जितना कालाधन बाहर रह जाएगा उतना ही केन्द्र सरकार को पूरी प्रक्रिया से फायदा होगा. ऐसा नहीं होने की सूरत में अब खुद केन्द्र सरकार देश में नोटबंदी लागू करने के पीछे अपने उद्देश्य को बदलने में लगी है.

अभी तक यह साफ हो चुका है कि भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम लगाने की मुहिम विफल हो गई है. लिहाजा केन्द्र सरकार अब बैंकों में जमा हुए रुपयों की जांच की बात कर रही है. आतंकवादी संगठन और गैर-सामाजिक तत्वों के पास पुरानी करेंसी की बात भी अब बेमानी हो रही है. लिहाजा अब सफाई दी जा रही है कि यह पूरी कवायद सिर्फ देश को कैशलेस अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए थी.

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