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क्‍या कम हो जाएगा डिस्‍टेंस एजुकेशन की डिग्री का महत्‍व ?

सभी यूनिवर्सिटी में च्‍वाइस बेस्‍ड क्रेडिट ट्रांसफर सिस्‍टम (CBCS) और सेमेस्‍टर सिस्‍टम लागू करने का यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन  (UGC) का निर्देश नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के लिए परेशानी का सबब बना गया है.

aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 22 अप्रैल 2015,
  • अपडेटेड 4:30 PM IST

सभी यूनिवर्सिटी में च्‍वाइस बेस्‍ड क्रेडिट ट्रांसफर सिस्‍टम (CBCS) और सेमेस्‍टर सिस्‍टम लागू करने का यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) का निर्देश नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के लिए परेशानी का सबब बना गया है. ओपन यूनिवर्सिटी को डर है कि नई व्‍यवस्‍था के लागू होने से उनकी डिग्री का महत्‍व कम हो जाएगा.

क्‍यूं हैं परेशान:
रेगुलर कॉलेज के मुक‍ाबले ओपन यूनिवर्सिटी का कोर्स पूरा करने के लिए काफी कम समय मिलता है, स्‍टूडेंट्स के दूसरे संस्‍थान जाने पर क्रेडिट ट्रांसफर की व्‍यवस्‍था क्‍या होगी इसे लेकर असमंजस बरकरार है. (CBCS) में इंटरनल असाइनमेंट को 20 से 25 फीसदी तक वेटेज देने का प्रावधान है. डिस्‍टेंस एजुकेशन में इसे लागू करना मुश्किल है.

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देश में 36 लाख स्‍टूडेंट्स पढ़ते हैं ओपन यूनिवर्सिटी में:
देश में फिलहाल 1 नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी , 13 स्‍टेट ओपन यूनिवर्सिटी और अलग-अलग संस्‍थानों में 200 से ज्‍यादा डिस्‍टेंस एजुकेशन सेंटर हैं. इनमें तकरीबन 36 लाख स्‍टूडेंट्स पढ़ते हैं. वहीं देशभर के संस्‍थानों में होने वाले एनरोलमेंट में 22 फीसदी हिस्‍सेदारी डिस्‍टेंस ओपन लर्निंग की होती है.

क्‍या है CBCS:
इसके जरिए स्‍टूडेंट्स अपने पहले के इंस्‍टीट्यूट से मिले क्रेडिट का इस्तेमाल नए इंस्‍टीट्यूट में कर सकते हैं. इस व्‍यवस्‍था का लाभ खासतौर से पैरंट्स के ट्रांसफर की वजह से एक जगह से दूसरी जगह जाने वाले स्‍टूडेंट्स और किसी कारण पढ़ाई के बीच में ब्रेक लेने वाले स्‍टूडेंट्स को होगा.

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