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रक्षा मंत्री ने कहा- पाकिस्तान पर एतबार नहीं, सियाचिन से सेना हटाना पड़ेगा महंगा

रक्षा मंत्री ने लोकसभा में कुछ सदस्यों के पूरक सवालों का जवाब देते हुए कहा, 'पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता, जो भारत द्वारा इस रणनीतिक क्षेत्र को खाली करने की स्थिति में इसे हथिया सकता है.'

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर
स्‍वपनल सोनल/BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 26 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 11:16 AM IST

सियाचिन को लेकर केंद्र सरकार ने शुक्रवार को फौलादी इरादे जाहिर किए हैं. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने साफ शब्दों में कहा कि जम्मू-कश्मीर के इस दुर्गम क्षेत्र से सेना नहीं हटाई जाएगी. रक्षा मंत्री का बयान इस संदर्भ में आया है क‍ि पाकिस्तान लगातार इस इलाके में कब्जा जमाने की फिराक में रहता है. जबकि हाल ही बर्फीले तूफान में इसी सियाचिन में हिंदुस्तान ने अपने दस जांबाज जवानों को खोया है.

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रक्षा मंत्री ने लोकसभा में कुछ सदस्यों के पूरक सवालों का जवाब देते हुए कहा, 'पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता, जो भारत द्वारा इस रणनीतिक क्षेत्र को खाली करने की स्थिति में इसे हथिया सकता है. सियाचिन को खाली करने पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. अगर हम ऐसा करते हैं तो दुश्मन उन मोर्चों पर कब्जा कर सकता है और तब वे सामरिक रूप से लाभ की स्थिति में आ जाएंगे.'

मनोहर पर्रिकर ने आगे कहा कि सियाचिन खाली करने और दुश्मन द्वारा कब्जा जमाने की स्थि‍ति में देश को अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा. उन्होंने इसके लिए 1984 का भी जिक्र किया. पर्रिकर ने कहा, 'हम जानते हैं कि हमें कीमत चुकानी पड़ेगी और हम अपने सशस्त्र बलों के जवानों को सलाम करते हैं, लेकिन हम इस मोर्चे पर डटे रहेंगे. हमें इस सामरिक मोर्चे पर जवानों को तैनात रखना है. यह सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बिंदु है.'

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'किसी को पाकिस्तान पर भरोसा नहीं'
पर्रिकर ने कहा, 'मैं नहीं समझता कि इस सदन में किसी को भी पाकिस्तान की बातों पर एतबार होगा. अगर हम वहां से हटते हैं तो दुश्मन उस पर कब्जा कर सकता है, उसे हथिया सकता है और उन्हें रणनीतिक लाभ होगा. हम 1984 के सियाचिन संघर्ष को भूले नहीं हैं.' उन्होंने कहा कि भारत के कब्जे में सियाचिन ग्लेशियर का सर्वोच्च स्थल साल्टोरो दर्रा है, जो 23 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है.

32 वर्षों में 915 ने गंवाई जान
गौरतलब है कि सियाचिन में तीन फरवरी को सेना की एक अग्रिम चौकी हिमस्खलन की चपेट में आ गई, जिससे एक जेसीओ सहित 10 सैनिक जिंदा बर्फ में दब गए थे. छह दिन बाद इनमें से एक जवान हनुमंतप्पा को जीवित पाया गया, लेकिन कुछ ही दिन बाद उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया. रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले 32 वर्षों में सियाचिन में 915 लोगों को जान गंवानी पड़ी. सियाचिन ग्लेशियर में सेवारत सैनिकों को सतत चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाई जाती है, जो सामान्य चिकित्सा सुविधा से छह गुणा अधिक है.

रक्षा मंत्री ने बताया कि सैनिकों को विभिन्न तरह की 19 श्रेणियों के वस्त्र मुहैया करवाए जाते हैं और स्नो स्कूटर जैसे उपकरण भी उपलब्ध करवाए जाते हैं. आपूर्ति की कोई समस्या या कमी नहीं है, लेकिन प्रकृति पर पूरी तरह से जीत हासिल नहीं कर सकते.

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केसी त्यागी ने उठाया मुद्दा
दूसरी ओर, राज्यसभा में जेडीयू के सदस्य केसी त्यागी ने सियाचिन में आए दिन भारतीय सैनिकों के शहीद होने पर गहरी चिंता जताई. उन्होंने सरकार से मांग की कि पाकिस्तान के साथ बात कर दोनों पक्षों की सेनाओं को इस क्षेत्र से हटाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए. शून्यकाल में त्यागी ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा, 'यह इतना दुर्गम क्षेत्र है कि यहां का तापमान शून्य से 45 से लेकर 50 डिग्री नीचे तक रहता है. इस क्षेत्र में तैनाती के कारण आए दिन हमारे सैनिक शहीद होते रहते हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी पक्ष भी इसी तरह अपने सैनिक गंवाता है.'

दो रुपये की रोटी पहुंचाने में खर्च होते हैं 200 रुपये केसी त्यागी ने कहा कि इस क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती काफी खर्चीली है, क्योंकि वहां दो रुपये की एक रोटी पहुंचाने में 200 रुपये लग जाते हैं. इसके अलावा वहां के लिए आवश्यक उपकरणों और पोशाकों को अन्य देशों से आयात करना पड़ता है. त्यागी ने मांग की कि इस मुद्दे पर सरकार को पाकिस्तान से बातचीत करनी चाहिए.

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