
बाजार में थोक कीमतों पर आधारित महंगाई (थोक मुद्रास्फीति) जनवरी महीने में बढ़कर 5.25 फीसदी पहुंच गई. दिसंबर 2016 में थोक महंगाई 3.39 फीसदी थी. मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान थोक महंगाई 5.31 फीसदी के स्तर पर कायम है.
खाद्य सामग्री की महंगाई में क्या घटा क्या बढ़ा
थोक महंगाई में शामिल खाद्य कीमतों की महंगाई जनवरी महीने में 1.1 फीसदी कम रही. इसके लिए जनवरी के दौरान अरहर, ग्राम, मसूर, उडद, मूंग, अंडा, फल और सब्जी, चाय, चावल, बाजरा और गेंहूं की कीमत में 15 से 1 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है. हालांकि इस दौरान जोवार, रागी और पोल्ट्री चिकेन, मछली, मसाले, मक्का, पोर्क, बीफ और बफलो मीट में 5 फीसदी से 1 फीसदी की महंगाई दर्ज हुई है.
गैर खाद्य वस्तुओं में ये सस्ता और ये महंगा
थोक महंगाई मापने के लिए अहम नॉन फूड आइटम की जनवरी के दौरान महंगाई स्तर 2.5 फीसदी अधिक रही. इस महंगाई में इजाफे के लिए इस दौरान फूल, कच्चा रबर, नारियल, कच्चा कपास , रॉ सिल्क, सनफ्लावर, कर्दी सीड, और सोयाबीन की कीमतों में 23 से 2 फीसदी तक का इजाफा हुआ. वहीं देश में आर्थिक गतिविधियों के लिए अहम मिनरल्स समूह में जनवरी के दौरान महंगाई में 1 फीसदी का इजाफा दर्ज हुआ है. इस समूह में मैनगनीज, कॉपर ओर, आइरन ओर और क्रोमाइट की कीमतों में 1 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है.
इस महीने के दौरान थोक महंगाई को थोड़ी राहत कच्चे तेल की कीमतों में 4 फीसदी गिरावट के चलते मिली है. अगले महीने में सरकार के लिए बड़ी चुनौती इसी सेक्टर से है क्योंकि चालू महीने के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है वहीं ओपेक देशों में प्रोडक्शन में कटौती करने के फैसले से आगे कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने की उम्मीद है.
इसके बाद जनवरी महीने में एक बार फिर खुदरा महंगाई दर गिरकर 3.17 फीसदी हो गई है. रीटेल महंगाई में यह गिरावट खाद्य सामग्रियों की कीमत में दर्ज हुई गिरावट के चलते हुई थी. इससे पहले दिसंबर महीने में उपभोक्ता महंगाई दर 3.41 फीसदी पर थी.
वहीं उपभोक्ता महंगाई दर की तुलना एक साल पहले जनवरी के आंकड़ों से करें तो मौजूदा गिरावट बड़ी मानी जा रही है. जनवरी 2015 में उप्भोक्त महंगाई दर 5.69 फीसदी पर थी. इसके लिए नोटबंदी जिम्मेदार रही क्योंकि रिजर्व बैंक भी मान चुका है कि नोटबंदी ने देश में खपत पर नकारात्मक असर डाला है.
अब जनवरी में थोक महंगाई का एक बार फिर से छलांग लगाना बता रहा है सरकार को इसे काबू करने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे क्योंकि वैश्विक स्तर पर बढ़ती कच्चे तेल की कीमत अगले महीने महंगाई के आंकड़ों को और बिगाड़ सकती है.