
देशभर में कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन का एक फायदा यह भी हुआ कि दिल्ली में यमुना नदी का प्रदूषण काफी कम हो गया था. साफ चमचमाती यमुना नदी के कई वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी चर्चित भी हुए थे. लेकिन आम तौर पर बरसात के मौसम के दौरान, साफ दिखने वाली यमुना नदी में लॉकडाउन खत्म होते ही प्रदूषण बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. नदी में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक बढ़ गया है कि कुछ दिन पहले दिल्ली के तीन सबसे बड़े वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी का प्रोडक्शन 75% तक कम हो गया था.
दरअसल, दिल्ली के दिल से गुजरने वाली यमुना नदी में अनलॉक के बाद तेजी से प्रदूषण फैलने की एक बड़ी वजह फैक्ट्रियों से बहने वाले केमिकल हैं. 'आजतक' ने आईटीओ के पास यमुना नदी के हाथी घाट का रियलिटी चेक किया, जहां केमिकल आसानी से नदी के साथ बहता हुआ दिखाई देता है. यही नहीं यमुना नदी के किनारों का गंदगी से भी, बहुत बुरा हाल है.
लॉकडाउन में इस वजह से साफ हो गयी थी यमुना
यमुना नदी की बिगड़ती स्थिति की वजह और नदी में प्रदूषण से निपटने के इंतजाम को लेकर 'आजतक' ने दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और जल मंत्री सत्येंद्र जैन से कुछ सवाल पूछे हैं. गोपाल राय से पूछे जाने पर कि लॉकडाउन के दौरान यमुना नदी साफ हो गयी, लेकिन ऐसा क्यों है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद यमुना नदी में फिर से केमिकल नजर आने लगे हैं?
यह भी पढ़ें: कोरोना काल में रोजगार के लिए क्या है दिल्ली सरकार का प्लान? गोपाल राय ने बताया
गोपाल राय ने जवाब देते हुए कहा, "लॉकडाउन के दौरान यमुना सफाई को लेकर तैयारी करना संभव नहीं था क्योंकि सबकुछ बंद था. लेकिन सरकार ने उन वजहों का आंकलन करवाया है कि कैसे लॉकडाउन के दौरान यमुना नदी साफ हुई, लॉकडाउन के बाद यमुना नदी की स्थिति की भी विभाग जांच कर रहा है. रिपोर्ट के आधार पर सरकार यमुना नदी के लिए रणनीति बनाएगी."
वहीं जब उनसे पूछा गया कि यमुना नदी में नजफगढ़ ड्रेन से लेकर कई फैक्ट्री का गंदा पानी गिरता है, इसे लेकर सरकार का क्या प्लान है?
गोपाल राय ने कहा, "चूंकि यमुना नदी दिल्ली से पैदा नहीं होती है. लॉकडाउन के दौरान पूरे देश में लॉकडाउन था, ऐसे में जहां से यमुना शुरू होती है वहां से लेकर दिल्ली तक, नदी में मिलने वाले हानिकारक रसायन बंधित थे. लेकिन जब लॉकडाउन खुला है तो हानिकारक रसायन वाली फैक्ट्रियों में काम शुरू हुआ है, और उन फैक्ट्रियों से निकलकर केमिकल यमुना नदी में आना शुरू हुआ है. इसके अलावा सरकार ने प्लान बनाया था कि दिल्ली में जहां-जहां नाले यमुना नदी में इंटर करते हैं वहां ट्रीटमेंट प्लांट बनाये जाएंगे, ताकि नालों के पानी को ट्रीट करके नदी में जाने दिया जाए. कोरोना से स्थिति सामान्य होते ही सरकार उस प्लान पर काम शुरू कर देगी."
सवाल पूछने पर कि क्या अगले एक साल में यमुना नदी साफ हो जाएगी? पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दावा करते हुए कहा, "ये बताना मुश्किल होगा की एक साल में यमुना नदी साफ हो जाएगी. हालांकि सरकार ने यमुना नदी को साफ करने का प्लान बनाया है, और अगले 5 साल में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा."
दिल्ली जल बोर्ड की भी है अहम भूमिका
यमुना नदी की सफाई के लिए दिल्ली जल बोर्ड की भी अहम भूमिका है. क्योंकि गंदे नाले के पानी को साफ करने के लिए बनाए जाने वाले ट्रीटमेंट प्लांट की जिम्मेदारी दिल्ली जल बोर्ड की ही है. लॉकडाउन के बाद यमुना नदी में केमिकल की मात्रा बढ़ने के सवाल पर दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने कहा कि यमुना को साफ करने के लिए एक लंबी अवधि का प्लान बनाया गया है जिसमें 6 महीने का विलंब हो गया है. यमुना नदी को क्लीन करने के लिए हमारी सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
यह भी पढ़ें: दिल्ली में कोरोना पर कंट्रोल, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन बोले- क्रेडिट कोई भी ले ले
सत्येंद्र जैन ने पड़ोसी राज्यों का जिक्र करते हुए बताया कि दिल्ली की यमुना नदी में हरियाणा से नजफगढ़ ड्रेन के जरिए 105 MGD गंदा पानी, और उत्तरप्रदेश के साहिबाबाद से इंडस्ट्री का 60 MGD गंदा पानी दिल्ली की यमुना नदी में मिलता है. इस प्रदूषण से निपटने के लिए पड़ोसी राज्यों से भी बातचीत चल रही है.
सत्येंद्र जैन से जब पूछा गया कि फैक्ट्रियों के गंदे पानी को यमुना नदी में जाने से रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है? जैन ने आश्वासन देते हुए कहा कि अगर दिल्ली में ऐसी कोई फैक्ट्री है जो यमुना नदी में प्रदूषण फैला रही है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों को बंद भी करना पड़ा तो जरूर करेंगे.
आपको बता दें कि दिल्ली में वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज तक यमुना तकरीबन 22 किलोमीटर का सफर तय करती है और इस दूरी में लगभग 22 नाले यमुना में गिरते हैं जो इस नदी के पानी को 80 प्रतिशत तक प्रदूषित कर देते हैं.