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हाईवे है या डेथ-वे! देश की सबसे जानलेवा सड़क है यमुना एक्सप्रेसवे

यमुना एक्सप्रेसवे 9 अगस्त, 2012 को आम नागरिकों के उपयोग के लिए खोला गया. लेकिन अपने शुरुआती तीन सालों में ही यमुना एक्सप्रेसवे पर 2,194 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं.

यमुना एक्सप्रेसवे पर 2014 से 2016 के बीच दोगुनी हो गईं दुर्घटना में मौतों की  संख्या यमुना एक्सप्रेसवे पर 2014 से 2016 के बीच दोगुनी हो गईं दुर्घटना में मौतों की संख्या
आशुतोष कुमार मौर्य
  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 6:21 AM IST

अकेले पिछले साल इस हाईवे पर दुर्घटना में 1,600 लोगों की जान गई. हैरान तो आप यह जानकर होंगे कि इस हाईवे पर दो साल में दुर्घटना में मरने वालों की संख्या दोगुनी हो गई.

बारिश के कारण सड़क पर बने गड्ढों के चलते होने वाली दुर्घटनाओं में मौतों को लेकर बीते कुछ समय से बेंगलुरू आए दिनों चर्चा में छाया रहा. लेकिन सच्चाई यह है कि शानदार, स्मूथ सड़क भी दुर्घटना न होने की गारंटी नहीं है.

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देश का सबसे जानलेवा एक्सप्रेसवे

भारत की सबसे शानदार एक्सप्रेसवे में शुमार यमुना एक्सप्रेसवे वास्तव में देश के कुछ सबसे जानलेवा एक्सप्रेसवे के तौर पर भी फेमस हो चुका है. ग्रेटर नोएडा से आगरा के बीच 165 किलोमीटर लंबी आठ लेन वाली यमुना एक्सप्रेसवे पर 2016 में दुर्घटना के चलते 1,601 लोगों की जान गई , जबकि 2014 में यह आंकड़े सिर्फ 800 थे.

इनमें से 73 फीसदी दुर्घटनाएं ओवरस्पीडिंग के चलते हुईं, वहीं दुर्घटना में मरने वालों में 54.1 फीसदी लोग 15-34 आयुवर्ग के रहे. इनमें भी अधिकतर दुर्घटनाएं रात के 1.00 बजे से भोर के 5.00 बजे के बीच हुईं.

ये एक्सप्रेसवे भी हैं खतरनाक

यमुना एक्सप्रेस वे के अलावा पिछले साल दुर्घटना में जान लेने के मामले में दिल्ली-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग-8 दूसरे नंबर पर रहा. NH-8 पर पिछले साल दुर्घटना में 857 लोगों ने जान गंवाई. वहीं 2016 में दिल्ली-लखनऊ NH-24 पर दुर्घटनाओं के चलते 816 मौतें हुईं और पंजाब-उत्तराखंड NH-9 पर 845 मौतें हुईं.

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कब-किसने बनवाया यमुना एक्सप्रेसवे

चौड़ी, लंबी और चमचमाती सड़कें आधुनिक विकास का प्रतीक बन चुकी हैं. विकास के इसी मानक को हासिल करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और देश के सबसे आकर्षक पर्यटक स्थल आगरा के बीच इस यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण किया गया. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और BSP की मुखिया मायावती का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था. यमुना एक्सप्रेसवे 9 अगस्त, 2012 को आम नागरिकों के उपयोग के लिए खोला गया. लेकिन अपने शुरुआती तीन सालों में ही यमुना एक्सप्रेसवे पर 2,194 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं.

हालिया दुर्घटना

हाल ही में यमुना एक्सप्रेसवे पर दुर्घटना का शिकार एक कॉलेज वैन हुई. इस हादसे में ग्रेटर नोएडा स्थित गलगोटिया यूनिवर्सिटी के चार छात्रों की मौत हो गई थी. यह दुर्घटना तेज गति की कार का टायर फटने से हुई थी.

ओवरस्पीडिंग पर लाइसेंस रद्द

यमुना एक्सप्रेसवे पर हर वाहन के लिए गति सीमा तय है और वाहनों की गति पर नजर रखने के लिए बीच-बीच में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. शुरू में तो ओवरस्पीडिंग पर जुर्माना लगाने का प्रावधान था, लेकिन इसी साल गौतम बुद्ध नगर के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने ओवरस्पीडिंग करने वाले चालकों का लाइसेंस सस्पेंड करने का फैसला लिया. डिपार्टमेंट का कहना है कि 1 अप्रैल से 4 जुलाई के बीच ओवरस्पीडिंग करने वाले 21,527 ड्राइवरों के लाइसेंस सस्पेंड किए गए.

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