
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने यमुना नदी के पुनरूद्धार की योजना पर उसके आदेशों के लागू होने में देरी और चूक पर केंद्र और दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई.
यमुना को निर्मल करने की योजना
एनजीटी ने 13 जनवरी को ‘मैली से निर्मल यमुना पुनरूद्धार योजना-2017’ पर एक विस्तारित फैसला सुनाया था. यह फैसला नदी की सफाई से जुड़ा था और इसमें नदी को मौलिक स्वरूप को वापस लाने के लिए एक पूर्ण प्रक्रिया थी.
देरी और चूक पर पड़ी फटकार
न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘यह सर्वविदित है और अपेक्षित भी है कि भारत सरकार और दिल्ली सरकार फैसले को लागू करेंगी. इसीलिए साल 2017 तक यह परियोजना पूरा करने के लिए इस फैसले के क्रियांवयन के संबंध में समय-समय पर विभिन्न निर्देश पारित किए गए. हमें इस बात पर गौर करना होगा कि इस फैसले के क्रियांवयन में सरकार, इसके विभिन्न विभागों और इसकी शाखाओं की ओर से निश्चित देरी और चूक हुई है.’
विभागों के बीच तालमेल नहीं
पीठ ने कहा, ‘यह सिर्फ दिखाई ही नहीं दे रहा, बल्कि यह सुनिश्चित भी है कि विभिन्न विभागों के बीच सहयोग और तालमेल नहीं है. हम इस बात पर गहरी निराशा जताते हैं कि पर्यावरण इस सब का शिकार बन रहा है.’ न्यायाधिकरण ने कहा कि संबंधित अधिकारी एकसाथ बैठकर पीठ के निर्देशों के क्रियान्वयन में विफल रहे हैं. वे इसके बजाय वे अपनी जिम्मेदारियां एक-दूसरे पर डालने के आरोप-प्रत्यारोप के खेल में उलझे हैं.
पिछले महीने से होनी थी रोजाना सुनवाई
पीठ ने कहा कि न्यायाधिकरण ने कहा था कि जुलाई 2015 से इस मामले की सुनवाई प्रतिदिन होगी. इसके बावजूद न्यायाधिकरण को प्रतिदिन के आधार पर जानकारी प्राप्त करने के लिए मामलों को कई सप्ताह तक के लिए निलंबित करना पड़ा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के विभिन्न विभागों और इसकी शाखाओं से जरूरी जानकारी और आंकड़ों की जरूरत के कारण साझा मलजल शोधन संयंत्रों के मुद्दों पर भी इस मामले में फैसला नहीं लिया जा सका.