
कश्मीरी पंडितों की वापसी में अलगाववादी नेताओं ने रोड़ा अटकाने का काम किया है. जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता यासीन मलिक ने इसका विरोध किया है. उन्होंने कहा कि अगर कश्मीरी पंडितों के लिए अलग से कॉलोनी बनी तो वह इसका विरोध करेंगे.
बुधवार को केंद्र सरकार द्वारा विस्थापित कश्मीरी पंडित की घर वापसी के लिए जमीन को अंतिम रूप देने का मुद्दा विधानसभा में गरमाया रहा. बीजेपी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि मलिक को कोई हक नहीं है कि वह विस्थापित कश्मीरी पंडितों के भविष्य का फैसला करें. अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के लिए अगर अलग कॉलोनियां बनाई गईं तो मैं इसका विरोध करूंगा. कश्मीरी पंडितों का स्वागत है, लेकिन वो अपने घरों में ही रहें.' मलिक ने AFSPA कानून पर बयान देते हुए कि विधानसभा में इस बाबत हो रही लड़ाई फर्जी है.
निर्दलीय विधायक ने उठाया मुद्दा
दूसरी ओर, बीजेपी ने जेकेएलएफ नेता यासीन मालिक पर पलटवार करते हुए कहा है कि मालिक को कोई हक नहीं है कि वो कश्मीरी पंडितों के भविष्य के बारे में फैसला करें. सदन में कश्मीरी पंडितों के विस्थापन को मुद्दा बनाते हुए सबसे पहले निर्दलीय विधायक इंजीनियर अब्दुल रशीद ने कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए जमीन दिए जाने का विरोध किया. इंजीनियर अब्दुल रशीद ने कहा, 'कश्मीरी पंडित बड़े शौक से आए, हमें कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन उनके लिए अलग से सिक्योरिटी जोन नहीं बनाने नहीं दिया जाएगा. सरकार कश्मीर में फिलिस्तीन बनाना चाहती है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.'
रशीद के इस बयान का बीजेपी ने कड़ा विरोध किया. बीजेपी नेता रविंद्र रैना ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की घर वापसी होगी और सुरक्षित माहौल में होगी. विपक्षी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस ने अपनी राय रखते हुए कहा कि कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीर अधूरा है और उनकी वापसी का पार्टी भी समर्थन करती है. एनसी नेता मुबारक गुल ने कहा, 'कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीर अधूरा है, लेकिन उनके लिए कोई खास जमीन न दी जाए बल्कि कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में ही पंडितों को बसाया जाए.'
'कंपोजिट कल्चर में रहेंगे विस्थापित कश्मीरी पंडित'
इन सब के बीच राज्य की पीडीपी-बीजेपी सरकार ने कहा है वह कश्मीरी पंडितों की वापसी पर काम कर रही है और इसके लिए लगातार केंद्र सरकार के संपर्क में है. जम्मू-कश्मीर के शिक्षा मंत्री और पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता नईम अख्तर ने कहा, 'कश्मीरी पंडितों को वापस लाया जाएगा और उन्हें कम्पोजिट कल्चर (मिश्रित संस्कृति) में रखा जाएगा.
गौरतलब है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से ही कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी पर काम शुरू हो गया था. प्रदेश में पीडीपी के साथ सरकार बनाने के बाद इस ओर तेजी आई, जिसपर पर राजनीति तेज हो गई है. इस बीच केंद्र सरकार ने AFSPA कानून का दायरा बढ़ाया दिया है. इस कानून को अरुणाचल प्रदेश में भी लागू कर दिया गया है. बुधवार को तेजपुर में तवांग हाईवे पर सेना ने मार्च भी किया है.