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पार्टी से निकाले जाने पर बोले योगेंद्र यादव- 'जो हुआ अच्छा हुआ...'

आम आदमी पार्टी (AAP) से सोमवार की आधी रात बागी नेताओं को बर्खास्त कर दिया गया. योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, आनंद कुमार और अजीत झा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बाहर निकाला गया.

प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2015,
  • अपडेटेड 2:57 PM IST

आम आदमी पार्टी (AAP) से सोमवार की आधी रात बागी नेताओं को बर्खास्त कर दिया गया. योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, आनंद कुमार और अजीत झा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बाहर निकाला गया. इस पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए योगेंद्र यादव ने फेसबुक पर लिखा- 'जो हुआ अच्छा हुआ... एक नई, सुंदर और लंबी यात्रा की शुरुआत है.' वहीं पार्टी का लोगो डिजायन करने वाले सुनील लाल ने फेसबुक पर AAP को श्रद्धांजलि दी है.

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योगेंद्र यादव ने फेसबुक पर लिखा-

पहली प्रतिक्रिया

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कई दिन की थकान थी, सोचा था आज रात जल्दी सो जाऊंगा. तभी घर का लैंडलाइन फोन बजा, जो कभी कभार ही बजता है. देखा आधी रात में सिर्फ पांच मिनट बाकी थे. अनिष्ट की आशंका हुई. फोन एक टीवी चैनल से था- 'आपको पार्टी से एक्सपेल कर दिया गया है. आपका फोनो लेना है.' मैं सोच पाता उससे पहले मैं इंटरव्यू दे रहा था. आपकी पहली प्रतिक्रिया? आरोपों के जवाब में आपको क्या कहना है? आगे क्या करेंगे? पार्टी कब बनाएंगे? वो प्रश्नों की रस्म निभा रहे थे, मैं उत्तरों की.

कई चैनलों से निपटने के बाद अपने आप से पूछा- तो, आपकी पहली प्रतिक्रिया? अंदर से साफ उत्तर नहीं आया. शायद इसलिए चूंकि खबर अप्रत्याशित नहीं थी. पिछले कई दिनों से इशारे साफ थे. जब से 28 तारीख की मीटिंग का वाकया हुआ तबसे किसी भी बात से धक्का नहीं लगता. 'अनुशासन समिति' के रंग-ढंग से जाहिर था किस फैसले की तैयारी हो चुकी थी. शायद इसीलिए फैसला आते ही कई प्रतिक्रिया एक साथ मन में घूमने लगीं.

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अगर आपको घसीट कर आपके घर से निकाल दिया जाए (और तिस पर कैमरे लेकर आपसे आपकी प्रतिक्रिया जानने की होड़ हो) तो आपको कैसा लगेगा? बस वैसा की कुछ लगा.

सबसे पहले तो गुस्सा आता है- 'ये कौन होते हैं हमें निकालने वाले? कभी मुद्दई भी खुद जज हो सकते हैं?'

फिर अचानक से दबे पांव दुख पकड़ लेता है. घर में वो सब याद आता है जो पीछे छूट गया. इतने खूबसूरत वॉलंटीर, कई साथी जो शायद अब मिलने से भी डरेंगे. के एल सहगल गूंज रहे हैं- 'बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाय…'

फिर ममता की बारी है. दिल से दुआ निकलती है- 'अब जिस का भी कब्जा है वो घर को ठीक से बना कर रखे. जिस उम्मीद को लेकर इतने लोगों ने ये घोंसला बनाया था, उम्मीद कहीं टूट न जाए.

आखिर में कहीं संकल्प अपना सिर उठाता है. समझाता है, जो हुआ अच्छे के लिए ही हुआ. घर कोई ईंट-पत्थर से नहीं बनता, घर तो रिश्तों से बनता है. हो सकता है एक दिन हम उन्हें दुआ देंगे जिन्होंने हमें सड़क पर लाकर नया रास्ता दिखा दिया. हरिवंश राय बच्चन की पंक्तियां गूंज रही थीं- नीड़ का निर्माण फिर…

ये किसी कहानी का दुखांत नहीं है, एक नयी, सुन्दर और लंबी यात्रा की शुरुआत है.

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वहीं सुनील लाल ने फेसबुक के जरिए ही AAP को श्रद्धांजलि दे डाली. उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में RIP AAP लिखा और AAP पर फूल की माला भी टंगी हुई थी.

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