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सपा के 'यादववाद' से लड़ते-लड़ते 'ठाकुरवाद' में फंसकर रह गए योगी!

सूबे में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई और सीएम का ताज योगी आदित्यनाथ के सिर सजा. अब एक साल के अंदर ही योगी पर जातिवाद का आरोप लगने लगा है और कहा जा रहा है कि शासन और प्रशासन में इन दिनों ठाकुरों का वर्चस्व कायम है.

DGP ओम प्रकाश सिंह के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ DGP ओम प्रकाश सिंह के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 19 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 10:54 AM IST

उत्तर प्रदेश में सपा के 'यादववाद' और मायावती के 'जाटववाद' के खिलाफ बीजेपी सड़क से लेकर विधानसभा तक लड़ती रही है. अखिलेश सरकार में नियुक्तियों पर सवाल खड़े करने से लेकर पुरस्कार वितरण तक में जातिवाद का इल्जाम बीजेपी लगाती रहती थी. इसी का नतीजा था कि गैरयादव ओबीसी और गैरजाटव दलित सहित सवर्ण मतदाताओं ने बड़ी तादाद में वोट देकर बीजेपी का सूबे में 14 साल का सत्ता का वनवास खत्म कराया. सूबे में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई और सीएम का ताज योगी आदित्यनाथ के सिर सजा. अब एक साल के अंदर ही योगी पर जातिवाद का आरोप लगने लगा है और कहा जा रहा है कि शासन और प्रशासन में इन दिनों ठाकुरों का वर्चस्व कायम है.

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डीजीपी राजपूत

बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ यूपी की सत्ता में आई तो योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने. शपथ लेने के बाद सूबे में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पुलिस के मुखिया के लिए योगी ने अपने समाज (राजपूत) के सुलखान सिंह को चुना. उन्हें डीजीपी बनाया गया, जब उनका कार्यकाल पूरा हो गया तो तीन महीने का और विस्तार दे दिया. सुलखान सिंह के बाद योगी ने दूसरे डीजीपी के रूप में फिर एक बार राजपूत समाज के दूसरे आईपीएस अधिकारी ओम प्रकाश सिंह को चुना. मौजूदा समय में ओम प्रकाश सिंह यूपी के डीजीपी हैं.

योगी सरकार का महाधिवक्ता राजपूत

योगी आदित्यनाथ ने यूपी सरकार के लिए महाधिवक्ता के रूप में राघवेंद्र सिंह को चुना. योगी के महाधिवक्ता भी राजपूत समाज से आते हैं. राघवेंद्र सिंह 1980 से इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में प्रैक्टिस कर रहे हैं. उन्होंने वकालत की शुरुआत 1977 में हरदोई से की थी. वह मूलत: हरदोई जिले के ही रहने वाले हैं. उनके महाधिवक्ता बनाए जाने पर हाईकोर्ट के वकील अशोक पांडेय ने नाराजगी भी जाहिर की थी. योगी पर जातिवाद का आरोप लगाया था.

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थानों में ठाकुरों का कब्जा!

योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद जैसे ही पुलिस प्रशासन में फेरबदल हुआ तो थानों पर राजपूतों के कब्जा का आरोप लगा. पूर्वांचल के अधिकतर थानों का जिम्मा राजपूतों को सौंपा गया था. एक समय हालत ये थी कि वाराणसी के 24 थानों में 23 पर सवर्ण और उनमें भी ज्यादातर राजपूत काबिज थे. इसी तरह से इलाहाबाद के 44 थानों में से 42 पर सवर्ण कोतवाल और थानाध्यक्ष बनाए गए. इसके अलावा सूबे के ज्यादातर जिलों में डीएम एसपी राजपूत समाज के नियुक्त किए गए.

7 मंत्री और 56 बीजेपी विधायक राजपूत

योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल के 44 मंत्रियों में से 7 राजपूत समाज से हैं, जो कि 16 फीसदी है. बीजेपी के 325 विधायकों में से 56 विधायक राजपूत हैं, जो कि 18 फीसदी हैं. जबकि सूबे में राजपूत समाज की आबादी करीब 7 फीसदी है.

गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मठ के महंत जरूर हैं, लेकिन राजपूत समाज से आते हैं. इसी का नतीजा है कि गोरखपुर में ब्राह्मण और राजपूतों के बीच वर्चस्व की जंग है. राजपूतों का केंद्र मठ बना है तो ब्राह्मण का हाता है. कहा जाता है कि इसी का खामियाजा गोरखपुर उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार उपेंद्र शुक्ल को उठाना पड़ा है और उन्हें करारी शिकस्त मिली. इससे पहले ब्राह्मण और राजपूत के बीच संतुलन बनाने के लिए पार्टी आलाकमान ने गोरखपुर के शिव प्रताप शुक्ल को केंद्र में मंत्री बनाया और सूबे में बीजेपी इकाई की कमान डॉ. महेंद्र नाथ पांडे को दी.

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पार्टी के पूर्व सांसद ने लगाया आरोप

यूपी में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को मिली हार के बाद 2014 के लोकसभा चुनावों में आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले रमाकांत यादव ने योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली पर सवाल उठाया है. रमाकांत यादव ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व ने पूजा पाठ करने वाले को मुख्यमंत्री बना दिया. सरकार चलाना उनके बस का नहीं है.

रमाकांत यादव ने कहा कि पिछड़ों और दलितों को उनका सम्मान मिलना चाहिए, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नहीं दे रहे हैं. वो सिर्फ एक जाति पर ध्यान दे रहे हैं. उन्होंने कहा, 'पिछड़े और दलितों को जिस तरह से फेंका जा रहा है, उसका परिणाम आज ही सामने आ गया है. मैं आज भी अपने दल को कहना चाहता हूं, अगर आप दलितों और पिछड़ों को साथ लेके चलेंगे तो ही 2019 में संतोषजनक स्थिति बन सकती है.'

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