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WhatsApp, Telegram और Signal के चैट्स पढ़ सकती है ये एजेंसी

WikiLeaks ने दावा किया है कि सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी किसी स्मार्टफोन को दूर से रिमोटली हैक करने के लिए मैलवेयर और हैकिंग टूल का यूज करती है. इसके अलावा यह एजेंसी किसी भी टीवी को माइक्रोफोन में तब्दील करके स्पाई करती है.

WhatsApp पर स्पाई की नजर? WhatsApp पर स्पाई की नजर?
Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 7:54 PM IST

WhatsApp ने जब एंड टु एंड एनक्रिप्शन की शुरुआत की थी तो कहा था कि इसके जरिए भेजे जाने वाले चैट्स को कोई दूसरा पढ़ सकता न डीकोड कर सकता है. लेकिन WikiLeaks के एक नए दस्तावेज के मुताबिक सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी WhatsApp जैसे दूसरे इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप्स के जरिए किए चैट्स को डीकोड कर सकती है या पढ़ सकती है.

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भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाली संस्था WikiLeaks ने हाल ही में लगभग 8 हजार फाइल्स जारी की है और जुलियन असांज ने दावा किया है कि इसमें सेंट्रल इंटेलिजेंस के हैकिंग क्षमता के बारे में जिक्र है.

WikiLeaks ने दावा किया है कि सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी किसी स्मार्टफोन को दूर से रिमोटली हैक करने के लिए मैलवेयर और हैकिंग टूल का यूज करती है. इसके अलावा यह एजेंसी किसी भी टीवी को माइक्रोफोन में तब्दील करके स्पाई करती है.

इस दस्तावेज के मुताबिक सीआईए अपनी तकनीक के जरिए व्हॉट्सऐप, सिग्नल, टेलीग्राम और वीबो जैसे सोशल प्लैटफॉर्म की सिक्योरिटी को तोड़ सकती है. आपको बता दें कि सिग्नल और टेलीग्राम ऐसे मैसेजिंग प्लैटफॉर्म हैं जिन्हें दुनिया का सबसे सिक्योर ऐप माना जाता है. यहां तक की एडवर्ड स्नोडेन भी लोगों को सिग्नल और टेलीग्राम यूज करने की नसीहत देते हैं.

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WikiLeaks की इस रीलीज में कहा गया है कि एंड टू एंड एन्क्रिप्शन के बावजूद सरकार के स्पाई ने यूजर्स के चैट को ऐक्सेस किया है.

मीडिया में ऐसी खबर आने के बाद न्यू यॉर्क टाइम्स को दिए गए एक बयान में सीआईए के प्रवक्ता ने कहा है, ‘हम ऐसे इंटेलिजेंस दस्तावेज की सत्यता की पुष्टि नहीं करे हैं और न ही इसपर कोई कमेंट करेंगे’

हालांकि सीआईए के पूर्व कॉन्ट्रैक्टर एडवर्ड स्नोडेन ने कहा ट्विटर पर कहा है जारी किए गए दस्तावेज सही हैं और इसे सही मानने की वजह भी है.

इन सभी चैट ऐप्लिकेशन्स में एंड टू एंड एन्क्रिप्शन यूज किया जाता है जो सबसे सिक्योर माना जाता है. हाल ही में व्हाट्सऐप ने भी यही एन्क्रिप्शन की शुरूआत की है. ये कंपनियां दावा करती हैं कि हैकर्स या कोई सरकारी एजेंसी या इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स चैट्स डीकोड नहीं कर सकते हैं.

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