ब्रिटेन में एक पांच महीने के बच्चे को दुनिया के सबसे महंगे ड्रग की एक डोज दी गई है. आर्थर मॉर्गन नाम का ये बच्चा स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी से जूझ रहा है. आमतौर पर इस बीमारी से लकवा मार जाता है और दो साल के अंदर किसी भी व्यक्ति की मौत हो जाती है. (फोटो क्रेडिट: Reece Morgan)
पिछले हफ्ते ये बच्चा दुनिया का पहला ऐसा मरीज बना है जिसे जोलगेंस्मा थेरेपी दी जा रही है. ये एक ऐसी जीन थेरेपी है जिसे हाथ में इंजेक्शन के सहारे दिया जाता है. इस ड्रग के एक डोज की कीमत 1.79 मिलियन पाउंड्स यानि लगभग 18 करोड़ रूपए है. (फोटो क्रेडिट: Reece Morgan)
जोल्गेंस्मा दुनिया का सबसे महंगा ड्रग है और इसे स्विट्जरलैंड की फर्म नोवारटिस ने तैयार किया है. इस ड्रग की एक डोज स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी(एसएमए) के लिए काफी है. इसके चलते बच्चे बैठने और चलने में भी सक्षम हो जाते हैं. (फोटो क्रेडिट: Reece Morgan)
बता दें कि बेबी आर्थर का जन्म दिसंबर 2020 में हुआ था और वो प्रीमेच्योर पैदा हुआ था. लंदन में रहने वाले आर्थर कपल ने नोटिस किया था कि उनका बच्चा ठीक से रिएक्ट नहीं कर रहा है जिसके बाद उसे डॉक्टर्स के पास ले जाया गया था जिसके बाद आर्थर परिवार को बेबी आर्थर की एसएमए बीमारी के बारे में पता चला था. (फोटो क्रेडिट: Reece Morgan)
इस बच्चे के पिता रीस मॉर्गन ने सन वेबसाइट के साथ बातचीत में कहा कि जब हमें पता चला कि आर्थर पहला ऐसा बच्चा है जिसे ये ट्रीटमेंट मिलने जा रहा है, तो मैं काफी इमोशनल हो गया था. मेरे लिए पिछले कुछ हफ्ते काफी बैचेनी और कठिनाई से भरे रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
गौरतलब है कि ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस ने इस ड्रग के मैन्युफेक्चरर से करार किया और कई विशेषज्ञ इसे जादुई ड्रग मान रहे हैं. बेबी आर्थर के पिता ने इस मामले में कहा- हम अपनी तरफ से अपने बेटे को बेस्ट ट्रीटमेंट देना चाहते हैं और हम बेहद शुक्रगुजार हैं कि एनएचएस हमारे साथ है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Pexels)
इस ड्रग की कीमत को लेकर नोवार्टिस के बॉस ने बात करते हुए कहा था कि मुझे लगता है कि इस ड्रग की कीमत बिल्कुल सही है क्योंकि इस ड्रग की महज एक डोज से एसएमए जैसी बीमारी ठीक हो जाती है और ये लंबी ट्रीटमेंट से सस्ती और बेहतर है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Pexels)
गौरतलब है कि इंग्लैंड में हर साल 65 बच्चे एसएमए के साथ पैदा होते हैं. इसके चलते मसल्स में कमजोरी, चलने फिरने में दिक्कत और सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है. वही एनएचएस सीईओ साइमन स्टीवन्स ने कहा कि ये एक क्रांतिकारी ट्रीटमेंट है और उन्हें खुशी है कि आर्थर जैसे बच्चे इससे फायदा ले पा रहे हैं.