कोरोना वायरस और मास्क को लेकर की गई 172 स्टडी के विश्लेषण से कुछ खास बात पता चली है. इस प्रोजेक्ट को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने फंड दिया था. विश्लेषण में पाया गया है कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए N95 और अन्य रेस्पिरेटर मास्क, कपड़ों के बने मास्क या फिर सर्जिकल मास्क से बेहतर होते हैं.
विश्लेषण का रिजल्ट The Lancet मैगजीन में प्रकाशित किया गया है. जानकारों का कहना है कि नए विश्लेषण के बाद WHO को ये सिफारिश करनी चाहिए कि खासकर आवश्यक सेवा से जुड़े लोग या डॉक्टर और नर्स सर्जिकल मास्क की जगह N95 मास्क ही पहनें.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डेविड माइकल्स ने कहा कि ये बेहद निराशाजनक है कि WHO और CDC (अमेरिका का सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल) सलाह देता है कि सर्जिकल मास्क पर्याप्त हैं, जबकि ऐसा नहीं है. गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, कई देशों ने N95 मास्क की किल्लत होने की वजह से लोगों को साधारण मास्क पहनने की सलाह दी गई है.
डेविड माइकल्स ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि सर्जिकल मास्क के भरोसे रहने से कई वर्कर्स संक्रमित हो गए. विश्लेषण से यह भी पता चला कि N95 मास्क 96 फीसदी तक कोरोना से बचाता है.
विश्लेषण में पता चला कि सर्जिकल मास्क सिर्फ 77 फीसदी ही कोरोना से सुरक्षा करता है. यह विश्लेषण ऐसे वक्त में काफी महत्वपूर्ण हो गया है जब ज्यादातर देश इकोनॉमी खोलने की ओर आगे बढ़ रहे हैं.
प्रोफेसर डेविड माइकल्स ने कहा कि न सिर्फ हेल्थ केयर वर्कर्स बल्कि, हाई रिस्क एरिया में काम करने वाले लोग, जैसे कि मीट पैकेजिंग में लगे स्टाफ, फार्म में काम करने वाले कर्मचारियों को भी N95 मास्क से सुरक्षा मिल सकती है.
WHO ने अब तक सभी देशों के लोगों को मास्क पहनने की सिफारिश नहीं की है. लेकिन कई देशों में मास्क पहनने को अनिवार्य कर दिया गया है. वहीं, मास्क को लेकर WHO की पॉलिसी से बीते दिनों में कई एक्सपर्ट ने नाराजगी भी जताई थी. कई एक्सपर्ट का ये मानना है कि मास्क कोरोना से बचाव के लिए साधारण और कम खर्चीला साधन है. खासकर तब जब ये पता चल गया है कि वायरस बिना लक्षण वाले लोगों से भी फैलता है.