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अब पहले से ज्यादा घातक होगी नौसेना की सबमरीन, DRDO को मिली ये बड़ी सफलता

aajtak.in
  • मुंबई,
  • 09 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 8:20 PM IST
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आईएनएस करंज हमलावर पनडुब्बी को भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने के एक दिन बाद ही देश ने रक्षा के क्षेत्र एक और बड़ी सफलता हासिल कर ली है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने सोमवार की रात मुंबई में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक का अंतिम परीक्षण किया जो पूरी तरह सफल रहा. 

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एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) वो तकनीक है जो समुद्र के अंदर पनडुब्बियों की शक्ति बढ़ा देती है. AIP तकनीक से नॉन न्यूक्लियर पनडुब्बियां समुद्र के अंदर बिना ऑक्सीजन की मौजूदगी के भी ऑपरेट कर पाती हैं. इस तकनीक के जरिए सबमरीन में डीजल इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम को बदला जा सकता है. AIP पनडुब्बी को समुद्र में पानी के नीचे अधिक समय तक रहने की शक्ति देता है.

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AIP तकनीक गैर-परमाणु पनडुब्बियों को वायुमंडलीय ऑक्सीजन के बिना संचालित करने की अनुमति देती है और हमलावर पनडुब्बियों के डीजल-इलेक्ट्रिक प्रणोदन प्रणाली को बढ़ाती है. इसका मतलब यह है कि एआईपी फिटेड पनडुब्बी को अपनी बैटरी चार्ज करने के लिए सतह पर नहीं आना पड़ता है और लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकती है. एआईपी से लैस पनडुब्बियों की पहचान एसएसपी के रूप में की जाती है जबकि क्लासिक डीजल हमले की पनडुब्बियां एसएसके सीरीज के तहत आती हैं.

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परमाणु पनडुब्बी जहाज के रिएक्टर द्वारा इंजन के तापमान को सामान्य बनाए रखने के लिए लगातार कूलिंग पंप का इस्तेमाल करती है जिससे शोर उत्पन्न होता है. वहीं, एआईपी तकनीक से लैस पनडुब्बी में ऐसी कोई आवाज नहीं होती है. नई तकनीक भारतीय पनडुब्बियों की क्षमता में इजाफा करेगी.
 

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भारतीय नौसेना अब 2023 के आस-पास अपने पहले अपग्रेड के दौरान AIP के साथ अपने सभी कलवरी क्लास के गैर-परमाणु हमलावर पनडुब्बियों को लैस करने की योजना बना रही है. 1615 टन की कलवरी क्लास की पनडुब्बी Mazagon Dockyards Limited द्वारा फ्रेंच नेवल ग्रुप के सहयोग से बनाई जा रही है और जो स्कॉर्पीन पर आधारित डिज़ाइन है.

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केवल अमेरिका, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन और रूस समेत दुनिया के दस देशों के पास ही अभी AIP तकनीक मौजूद है. डीआरडीओ की ये सफलता हथियार के मामले में भारत के आत्मनिर्भर बनने की राह पर एक कदम है.  DRDO की AIP तकनीक फॉस्फोरिक एसिड फ्यूल सेल पर आधारित है और अंतिम दो कलवरी क्लास पनडुब्बियों को इसके द्वारा संचालित किया जाएगा. 
 

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