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पुणे: अब आ गया पान का ATM, चौबीसों घंटे लुत्फ उठा सकेंगे शौकीन, Photos

पंकज खेळकर
  • पुणे,
  • 24 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 7:19 PM IST
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पान के शौकीनों को खाने के बाद जब तक पान नहीं मिलता, अधूरा-अधूरा सा लगता है. लेकिन ये पान बाज़ार में तभी तक मिल सकता है जब तक दुकानें खुली हों. पुणे में पान के तलबगारों के लिए अब 24 घंटे पान मिलने का इंतेजाम हो गया है. ये मुमकिन हुआ है पान की ऑटोमेटिक मशीन यानी एटीएम की वजह से.  

(फोटो- पंकज खेलकर)

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कोरोना केस फिर बढ़ने की वजह से पुणे में फिलहाल रात 11 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लागू है. इसलिए रात को मशीन को ढक दिया जाता है. सामान्य दिनों में मशीन से 24X7 पान मिलने का इंतेजाम रहेगा.   

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जिस दुकान ने पान के शौकीनों के लिए इस मशीन की व्यवस्था की है, उसका नाम भी शौकीन ही है. इस दुकान मालिक का दावा है कि ये मशीन ‘भारत की पहली ऑटोमेटिक पान डिस्पेंसर’ है. इसे एक हफ्ता पहले ही लगाया गया. इस मशीन से अपने स्वाद का पान निकालने के लिए आपको एटीएम पर बारकोड स्कैन करना होगा. इंटरफेस से आपके फोन पर उपलब्ध पानों की लिस्ट आ जाएगी. इसका ऑनलाइन पेमेंट करने पर एक छोटे बॉक्स में साफ-सुथरे ढंग से पैक किया हुआ पान बाहर आ जाएगा. मैंगो, चॉकलेट, आइरिश क्रीम, मसाला, ड्राई फ्रूट, मघई आदि तमाम तरह के स्वाद वाले पान यहां मौजूद हैं.  

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यहां साफ-सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखा गया है. कोशिश यही है कि पान के बनाने से लेकर डिलिवरी तक कम से कम इंसान का हाथ लगे. कोरोना के चलते सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में यह तरीका पान के शौकीनों को खासा रास आ रहा है. कियोस्क में इंटरएक्टिव स्क्रीन पर एक वीडियो चलता रहता है जिसमें समझाया गया है कि पान वेंडिंग मशीन किस तरह काम करती है.   

 

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भारत में सदियों से पान खाने का रिवाज रहा है. इसकी परम्परागत दुकानें भी गली-मोहल्लों के नुक्कड़ पर देखी जाती हैं. जहां पान के शौकीन राजनीति से लेकर तमाम मुददों पर चर्चा करते दिख जाते हैं. अब उसी पान को वेंडिंग मशीन से मॉडर्न लुक देने की कोशिश की गई है.   

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ऑटोमेटिक पान डिस्पेंसर लगाने के पीछे 51 साल के शरद मोरे का दिमाग है. इस स्थिति तक पहुंचने के लिए उन्होंने लंबा सफर तय किया है. उनके पिता कपड़ा मिल में श्रमिक थे. अस्सी के दशक में कपड़ा मिलें बंद होनी शुरू हुईं तो परिवार की आर्थिक हालत खस्ता हो गई. 16 साल की उम्र में ही शरद मोरे ने सुबह अखबार बांटने का काम शुरू कर दिया था. इसके बाद ऑटो रिपेयर शॉप में भी काम किया. वहीं एक दुर्घटना में शरद मोरे का हाथ कट गया. इसके बाद एक जानने वाले ने इन्हें अपने रेस्तरां के बाहर पान का खोखा लगाने की इजाजत दी. पान लगाना न आते हुए भी शरद मोरे ने पान की दुकानों के बाहर खड़े होकर सीखा कि कैसे पान लगाया जाता है.    

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2004 में कुछ पैसा इकट्ठा हो जाने के बाद शरद मोरे ने पान शॉप खोली. शुरू से ही इन्होंने साफ-सफाई का खास ध्यान रखा. पान में ऐसे ही मसाले का इस्तेमाल किया जिसे खाने वाला न थूके.  

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शरद मोरे की दुकान पर सबसे सस्ता पान 5 रुपये का और सबसे महंगा 1000 रुपये का है. चांदी-सोने के वर्क से सजे पान की वजह से दुकान पान की दुकान कम मिठाई की दुकान ज्यादा लगती है. यहां करीब 40 किस्म के पान मिलते हैं.  

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शरद मोरे के मुताबिक पान का एटीएम बनाने का ख्याल करीब एक दशक पहले उनके दिमाग में आया था. तब उन्होंने इस पर रिसर्च में करीब 3 से 4 लाख रुपये खर्च किए लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन हुआ तो शरद मोरे ने फिर पान के एटीएम के सपने को साकार करने के लिए काम करना शुरू किया. नतीजा आटोमेटिक पान डिस्पेंसर के तौर पर सामने है.  

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शरद मोरे का दावा है कि उन्होंने पान के इस एटीएम का पेटेंट और कॉपीराइट हासिल किया है. उनका इरादा अब शॉपिंग मॉल्स, बड़े रेस्त्रां जैसी जगहों पर ऐसे डिस्पेंसर लगाने का है. पुणे से शुरुआत के बाद देश के दूसरे शहरों में भी अपने इस काम को विस्तार देने की उनकी योजना है.  

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