देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन पर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया. दिल्ली में आयोजित एक रैली में मोदी ने कहा- 'जिन्होंने देश के कई शहरों को अराजकता और डर के माहौल में धकेलने की कोशिश की है, मैं उनसे कहना चाहता हूं- अगर जलाना ही है तो मोदी का पुतला जला लो, लेकिन गरीब का नुकसान तो मत करो. पुलिसवालों पर पत्थर बरसाकर, उन्हें जख्मी करके आपको क्या मिलेगा?' हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब पीएम ने ऐसी बात कही है, इससे पहले भी मोदी ने खुद के विरोध और सजा को लेकर ऐसे जवाब दिए थे.
नोटबंदी का विरोध होने पर नरेंद्र मोदी ने 2016 में लोगों से 50 दिनों का वक्त मांगा था. मोदी ने कहा था- 'अगर 30 दिसंबर (50 दिन पूरा होने पर) के बाद कोई कमी रह जाए, कोई मेरी गलती निकल जाए, कोई मेरा गलत इरादा निकल जाए. आप जिस चौराहे पर मुझे खड़ा करेंगे, मैं खड़ा होकर.. देश जो सजा देगा वो भुगतने को तैयार हूं.' (फाइल फोटो)
तथाकथित गोरक्षकों की ओर से दलितों पर हिंसा के मामले सामने आने के बाद अगस्त 2017 में मोदी ने हिंसा रोकने की अपील की थी. मोदी ने कहा था कि दलितों पर हमले बंद करें, अगर गोली
मारनी है तो मुझे गोली मारिए. (फाइल फोटो)
मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था- 'मैं इन
लोगों से कहना चाहता हूं कि अगर आपको कोई समस्या है, अगर आपको हमला करना
तो मुझ पर हमला करिए. मेरे दलित भाइयों पर हमला बंद करिए. अगर आपको गोली
मारनी है तो मुझे गोली मारिए, लेकिन मेरे दलित भाइयों को नहीं. यह खेल बंद
होना चाहिए.' (फाइल फोटो)
वहीं, 2014 में बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने गुजरात दंगों के लिए माफी मांगने से जुड़े सवाल पर कहा था- ‘अगर इन आरोपों में रत्ती भर भी सच्चाई है तो मैं महसूस करता हूं कि भारत के उज्ज्वल भविष्य और परंपरा के लिए मोदी को चौराहे पर फांसी पर चढ़ा देना चाहिए. सजा ऐसी होनी चाहिए कि आने वाले 100 बरस में किसी को ऐसा अपराध करने का साहस न हो.'
एएनआई के इंटरव्यू में मोदी ने कहा था- ‘अगर मैंने कोई अपराध किया है, तो मोदी को माफ नहीं किया जाना चाहिए. माफी मांगने के बाद लोगों को माफ करना, यह क्या व्यवस्था है? माफी नहीं मांगनी चाहिए. मोदी को कभी माफ नहीं किया जाना चाहिए.’ (फाइल फोटो)