राजस्थान के पाली में सावन के महीने में भक्त शिव आराधना में लीन हैं. भगवान शिव की कृपा पाने के लिए भक्त धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विभिन्न जतन करते हैं. राजस्थान के प्रसिद्ध परशुराम महादेव में भी भगवान शिव की कृपा पाने के लिए श्रद्धालु मान्यता अनुसार पूजा कर रहे हैं. श्रद्धालुओं के लिए यहां हर रोज 7 हजार मिट्टी के शिवलिंग बन रहे हैं.
भगवान शिव की कृपा पाने और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भक्त रोजाना आचार्यो की देखरेख में पूजा-अचर्ना के बाद शिवलिंगों को परशुराम महादवे कुंड में विसर्जित करते हैं. सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व पुराणों में भी बताया गया है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन में पार्थिव (मिट्टी) लिंग बनाकर शिव पूजन का विशेष महत्व है. शिवपुराण में भी इसका उल्लेख है. पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से समस्याओं का निदान होता हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पुनमिया आचार्य हर्षद दवे गुड़ा बालोतरा, दिनेश पण्ड्या के साथ अनेकों पंडित रोजाना करीब 7 हजार मिट्टी के शिवलिंग बनाते हैं.
इन्हें बनाने में तालाब या नदी की मिट्टी ली जाती हैं, जिसमें गुड़, मक्खन, दूध मिलाकर 3 इंच के शिवलिंग बनाते हैं. फिर फूलों व चंदन से शोधित करते हैं. इन्हें बनाने के दौरान शिव मंत्रों का जाप किया जाता है.
दिनेश पण्ड्या ने बताया कि पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर शिवलिंग बनाए जा रहे हैं. पार्थिव शिवलिंग का निर्माण मिट्टी , गुड़, मक्खन और मिलाकर किया जाता है.
धार्मिक मान्यता है कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है. शिवजी की आराधना के लिए पार्थिव पूजन सभी लोग कर सकते हैं, फिर चाहे वह पुरुष हो या फिर महिला.
शिवपुराण में लिखा है कि पार्थिव शिवलिंग पूजन सभी दुःखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है. पार्थिव शिवलिंग के सामने शिव मंत्रों का जाप किया जा सकता है. रोग से पीड़ित लोग मंत्र का जाप भी करते हैं.
(रिपोर्ट- भारत भूषण जोशी)