दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में पितृसत्ता देखी जा सकती है. पितृसत्ता यानी एक ऐसा सोसाइटी जहां राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक संसाधनों पर पुरुषों का ही दबदबा रहता है और महिलाओं को निजी जिंदगी से लेकर प्रोफेशनल जिंदगी में वर्चस्व के साधनों से वंचित रहना पड़ता है. (फोटो क्रेडिट: Getty images)
हालांकि यूरोप के एक द्वीप पर ये कहानी पूरी तरह से बदल जाती है. एस्टोनिया के बाल्टिक सागर के पास मौजूद किह्नू द्वीप में चार गांव हैं और करीब 700 से लेकर हजार लोग इन गांवों में रहते हैं. यहां होटल की कोई सुविधा नहीं है लेकिन इसके बावजूद यहां दुनिया भर से टूरिस्ट्स घूमने के लिए आते हैं और इस जगह को महिलाएं ही चलाती हैं. (फोटो क्रेडिट: Getty images)
किह्नू को यूरोप की आखिरी मातृसत्ता सोसाइटी माना जाता है. इसे महिलाओं का द्वीप भी कहा जाता है. 19वीं शताब्दी के आसपास इस द्वीप से पुरुषों की संख्या काफी कम होने लगी थी. फिशिंग और शिकार पर जाने के चलते पुरुष महीनों अपने घरों से दूरी बनाए रखते हैं. बेहद कम समय द्वीप पर बिताने के चलते उनकी प्रासंगिकता यहां खत्म हो चुकी है और इस द्वीप पर पुरुषों की कमी को महिलाओं ने पूरा किया और एक मातृसत्ता सोसाइटी का निर्माण किया. (फोटो क्रेडिट: Getty images)
महिलाएं यहां बच्चों के पालन-पोषण के साथ ही कृषि, पारंपरिक बुनाई और हस्तशिल्प जैसे कई काम करती हैं. इसके अलावा द्वीप से जुड़ी कई संस्थाओं को भी महिलाएं ही देखती हैं. शादियों से लेकर अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी के अलावा हर तरह की जिम्मेदारी महिलाएं आपस में ही मिल-बांट कर संभालती हैं. (फोटो क्रेडिट: Getty images)
इस द्वीप की सबसे पहली प्राथमिकता बच्चे, उसके बाद समुदाय और फिर पुरुष हैं. यहां रहने वाली एक महिला ने इंडिपेंडेट वेबसाइट के साथ बातचीत में कहा कि कई लोगों को लगता है कि हम मातृसत्ता समाज के सहारे कोई संदेश देना चाहते हैं लेकिन सच तो ये है कि पिछले कई दशकों से ये सोसाइटी इसी तरह से चली आ रही है और हम इसके अलावा अपने आपकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. (फोटो क्रेडिट: Getty images)
किहनू द्वीप पर पैतृक परंपराओं को बनाए रखने के साथ ही यहां मौजूद महिलाएं खेती, बच्चे के पालन-पोषण और दैनिक जीवन की जिम्मेदारियों का संतुलन भी बनाकर चलती हैं. सिल्विया एक डांस टीचर और फोटोग्राफर हैं. वे कुछ सालों पहले कनाडा से किह्नू आ गई थीं. सिल्विया की दादी को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ये द्वीप छोड़कर भागना पड़ा था. इसके बाद ही सिल्विया ने इस द्वीप पर आने का फैसला किया था. उन्होंने इस द्वीप को लेकर अनुभव साझा किए. (फोटो क्रेडिट: Getty images)
सिल्विया ने कहा कि यहां की पुरानी पीढ़ी परंपराओं और संस्कृति को जिंदा रखना चाहती है इसलिए वे वही सिखा रहे हैं जो उन्हें सिखाया गया था. ये एक खूबसूरत कल्चर है लेकिन मुझे लगता है कि यंग जनरेशन काफी फ्रस्टेट भी हो जाती है क्योंकि वे पर्यटन के सहारे कमाई करना चाहती हैं लेकिन पुरानी पीढ़ी के लोग पर्यटन को खास सपोर्ट नहीं करते. (फोटो क्रेडिट: Getty images)
बता दें कि इस द्वीप में कई यंग जनरेशन की लड़कियां कमाई के बेहतर रास्ते तलाशने के लिए बाहर भी निकलना चाहती हैं क्योंकि इनमें से कई लोगों को यहां का मौसम सूट भी नहीं करता है. यंग जनरेशन के ऐसे फैसलों के चलते इस जगह का कल्चर और परंपराओं पर खतरा भी मंडरा रहा है लेकिन इसके बावजूद यहां टूरिज्म की कोई कमी नहीं है. गौरतलब है कि इस द्वीप का नाम यूनेस्को कल्चरल हेरिटेज ऑफ ह्यूमेनिटी लिस्ट में भी शुमार है. (फोटो क्रेडिट: Getty images)