कुछ साल पहले जब भी देश के चर्चित निजी बैंकों की बात होती थी तो उसमें यस बैंक का भी नाम आता था. करीब 15 साल पहले शुरू हुआ यस बैंक आज बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है. गुरुवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक के ग्राहकों के लिए 50 हजार रुपये निकासी की सीमा तय कर दी.
यस बैंक की तबाही की कहानी कोई आज की नहीं है. आइए जानते हैं कैसे यस बैंक इस हालत तक पहुंच गया.
दरअसल, कुछ साल पहले तक प्राइवेट सेक्टर के सबसे भरोसेमंद बैंकों में
शुमार रहा यस बैंक का सफर
बेहद दिलचस्प रहा है. लेकिन अब बैंक का संकट इस हद तक पहुंच गया कि बैंक में जिन निवेशकों ने पैसे लगाए उनके 90 फीसदी से अधिक तक पैसे डूब गए....
(Photos: Reuters/Getty/PTI)
कहां से हुई शुरुआत:
साल 2004 की बात
है, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक निजी बैंक का नाम अचानक चर्चा के
केंद्र में आ गया. दरअसल, इस निजी बैंक के नाम 'Yes' ने लोगों को आकर्षित
किया. यह पहली बार था जब किसी बैंक के नाम में लोगों की दिलचस्पी देखने को
मिली. कुछ ही सालों में Yes बैंक एक जाना पहचाना नाम बन गया.
जून
2005 में बैंक का इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ आम लोगों के लिए
लॉन्च हुआ. नवंबर 2005 में यस बैंक के फाउंडर राणा कपूर को
एन्टरप्रन्योर ऑफ द ईयर अवार्ड मिला.
मार्च 2006 में बैंक ने अपना पहला
वित्त वर्ष के नतीजों का ऐलान किया. बैंक का प्रॉफिट 55.3 करोड़ रुपये
जबकि रिटर्न ऑफ एसेट (ROA) 2 फीसदी रहा.
मुंबई हमले में प्रमोटर अशोक कपूर की मौत:
26
नवंबर 2008 को मुंबई आतंकी हमले में बैंक के प्रमोटर अशोक कपूर की मौत हो
गई. दिसंबर 2009 में यस बैंक को 30,000 करोड़ के बैलेंसशीट के साथ सबसे
तेज ग्रोथ का अवॉर्ड मिला.
जून 2013 में बैंक ने देश के अलग-अलग
राज्यों में 500 से अधिक ब्रांचों का विस्तार करने का फैसला लिया. मई
2014 में बैंक ने ग्लोबल क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी)
के जरिए 500 मिलियन डॉलर जुटाए.
मार्च 2015 में यस बैंक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी 50 में लिस्टेड हुआ. अप्रैल 2015 में यस बैंक ने पहला अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि कार्यालय अबूधाबी में खोला.
साल 2017 में बैंक ने क्यूआईपी के जरिए 4906.68 करोड़ रुपये जुटाए. यह किसी निजी क्षेत्र द्वारा जुटाई गई सबसे अधिक रकम है.
साल 2018 में यस बैंक को सिक्योरिटीज बिजनेस के कस्टोडियन के लिए सेबी से
लाइसेंस मिला. इसके अलावा सेबी ने म्युचुअल फंड बिजनेस के लिए भी मंजूरी
दी.
कहां से शुरू हुई बर्बादी की कहानी?
हालांकि, बैंक का गोल्डेन टाइम लंबे समय तक जारी नहीं रह सका. बीते कुछ सालों में
यस बैंक को एक के बाद एक झटके लगे हैं. इसमें सबसे बड़ा झटका रिजर्व बैंक
ऑफ इंडिया यानी आरबीआई की ओर से दिया गया. आरबीआई को लगा कि यस बैंक अपने
डूबे हुए कर्ज (एनपीए) और बैलेंसशीट में कुछ गड़बड़ी कर रहा है. आरोप के
मुताबिक आरबीआई को यस बैंक सही-सही जानकारी नहीं दे रहा था.
राणा कपूर को पद से हटाया गया:
इसका
नतीजा ये हुआ कि आरबीआई ने यस बैंक के चेयरमैन राणा कपूर को पद से जबरन
हटा दिया. बैंक के इतिहास में पहली बार था जब किसी चेयरमैन को इस तरह से
चेयरमैन पद से हटाया गया. इसके अलावा आरबीआई ने बैंक पर कई पाबंदियां लगा
दीं.
मैनेजमेंट में उठा-पटक:
यस बैंक के मैनेजमेंट में
उठा-पटक का असर भी बैंक के शेयर पर पड़ा है. इस वजह से लंबे समय से
अनिश्चिचता का माहौल बना हुआ है. हालांकि बैंक की ओर से समय-समय पर
मैनेजमेंट में किसी तरह के गतिरोध की आशंका खारिज की जाती रही.
यस बैंक की बदहाली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगस्त -2019 में ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया कि यह सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले दुनिया के टॉप-10 बैंकों की सूची में शामिल हो गया है.
कंपनियों को बांटे लोन, बढ़ा एनपीए:
यस बैंक ने देश की कई ऐसी कंपनियों
को लोन दिया जो या तो दागी थे या जिनका वित्तीय लेनदेन साफ नहीं था. उन
कंपनियां को कोई दूसरा बैंक लोन देने को तैयार नहीं था. इस लिस्ट में
एलएंडएफएस, दीवान हाउसिंग, जेट एयरवेज, कॉक्स एंड किंग्स, सीजी पावर और
कैफे कॉफी डे जैसी कंपनियां शामिल हैं.
शेयर 1400 से 5 रुपये तक पहुंच गया:
यस
बैंक के शेयर स्टॉक मार्केट में आसमान छू रहे थे. बैंक के लोनबुक, जमा,
लाभ और बैलेंसशीट देखकर शेयर लगातार बढ़ रहे थे.
एक समय में तो शेयर 1400
रुपये तक पहुंच गया था. लेकिन जब इसका एनपीए बढ़ना शुरू हुआ तो इसके शेयर
गिरने लगे. आरबीआई ने स्थिति को समझते हुए दखल दी और आज यस बैंक का शेयर 5
रुपये तक लुढ़क गया.
एटीएम के बाहर लगीं लाइनें:
आरबीआई ने जैसे
ही 50 हजार की निकासी की लिमिट लगाई, उसके ग्राहकों में हड़कंप मच गया. देश
के तमाम शहरों में एटीएम के बाहर पैसे निकालने वालों की कतार लग गई. कई
शहरों में अफरातफरी का माहौल भी देखने को मिला.
सरकार दे रही खाताधारकों को भरोसा:
यस
बैंक बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है. लेकिन सरकार फिर भी भरोसा दे रही
है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खाताधारकों को भरोसा दिया है
कि उनका पैसा डूबने नहीं दिया जाएगा. रिजर्व बैंक के अधिकारी समस्या का
समाधान निकालने में जुटे हुए हैं.