
टायला पेज नाम की इस लड़की ने अपनी दर्दभरी कहानी सुनाई है. उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें डॉक्टरों से हाथ जोड़कर विनती करनी पड़ी कि उनकी एक टांग काट दी जाए. ये काली और बैंगनी रंग की हो गई थी और इसमें असहनीय दर्द हो रहा था. जब उनके लिए ये सब सहन करना मुश्किल हो गया, तो उन्होंने अपनी टांग को शरीर से अलग करने का फैसला लिया.
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन की रहने वाली 23 साल की टायला ने बताया, 'मैं लगातार रो रही थी और पूरे वक्त दर्द में रही. मैं सहज नहीं हो सकती थी क्योंकि मेरे लिए सब कुछ काफी दर्दनाक हो गया था. मेरी जिंदगी ही नहीं बची थी.'
जब वह टीनेजर थीं, तब अपना अपेंडिक्स निकलवाने के बाद उन्हें पहली बार दर्द का अनुभव हुआ. फिलहाल वो फुटबॉल कोच के तौर पर काम करती हैं. उनका कहना है, 'यह बेहद असहनीय दर्द था, जिससे शायद ही कोई गुजरा हो, वो लगातार हो रहा था, जलन और चुभने वाला दर्द था, जो जा ही नहीं रहा था.'
सात साल पहले शुरू हुआ दर्द
टायला साल 2016 में कॉम्प्लेक्स रीजनल पेन सिंड्रोम (CRPS) का शिकार हो गई थीं. जिसमें बहुत दर्द होता है. ये बीमारी आमतौर पर हाथ या पैर को प्रभावित करती है. बीमार व्यक्ति इसमें जिस मानसिक पीड़ा और निराशा की भावनाओं का सामना करता है, उसके कारण CRPS को अकसर 'सुसाइड डिजीज' भी कहा जाता है. डॉक्टरों के अनुसार, ये दर्द आमतौर पर किसी चोट, सर्जरी, स्ट्रोक या दिल के दौरे के बाद शुरू होता है. टायला न तो चल पा रही थीं और न ही अपने रोजमर्रा के दूसरे काम करने में सक्षम थीं.
काफी संवेदनशील हो गई थी टांग
उन्होंने बताया, 'एक वक्त पर मेरी टांग बेहद संवेदनशील हो गई थी. उसे अगर हवा, चादर या पानी भी छूए, तो 24/7 तक दर्द होता था. मैं कुर्सी पर पूरे दिन बैठ नहीं सकती थी, तो स्कूल में आधा दिन ही रहती थी.' वो खुद से न नहा पाती थीं और न ही कपड़े बदल पाती थीं. टायला की जिंदगी बिस्तर तक सिमटकर रह गई थी. उनकी मां उनका ध्यान रखा करती थीं. उन्होंने बताया कि वो समझ गई थीं कि टांग अब खत्म हो गई है और इस मृत चीज का बोझ लेकर नहीं चलना है. इसलिए उन्होंने इसे शरीर से अलग करने का फैसला लिया. 2019 में उनका ऑपरेशन हुआ. अब वो खुश हैं क्योंकि उन्हें असहनीय दर्द नहीं सहना पड़ रहा है.