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बाहुबली, नटराज की प्राचीन प्रतिमाएं वापस भारत लाईं गईं

आरटीआई अर्जी के जवाब में बताया कि इन 24 प्राचीन वस्तुओं में से 16 अमेरिका से, पांच ऑस्ट्रेलिया से और एक-एक वस्तुएं कनाडा, जर्मनी और सिंगापुर से लाई गईं.

प्रतीकात्मक फोटो. प्रतीकात्मक फोटो.
अभि‍षेक आनंद
  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST

नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से 2014 से अब तक विदेशों से 24 प्राचीन वस्तुएं लाई गयी हैं. इनमें चोल शासकों के समय की श्रीदेवी की धातु की प्रतिमा और मौर्य काल की टेराकोटा की महिला की मूर्ति शामिल हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने एक आरटीआई अर्जी के जवाब में बताया कि इन 24 प्राचीन वस्तुओं में से 16 अमेरिका से, पांच ऑस्ट्रेलिया से और एक-एक वस्तुएं कनाडा, जर्मनी और सिंगापुर से लाई गईं.

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इनमें बाहुबली और नटराज की भी एक-एक प्रतिमाएं हैं. जवाब के अनुसार, साल 2014 से 2017 के बीच इन देशों ने स्वेच्छा से प्राचीन वस्तुएं लौटा दीं. एएसआई ने इस बात का ब्योरा नहीं दिया कि भारत की अमूल्य विरासत का प्रतिनिधित्व करने वाली ये प्राचीन वस्तुएं किस तरह देश से बाहर गईं.

एएसआई ने कहा कि 13 पुरातनकालीन वस्तुएं अब भी हैं जिन्हें स्विट्जरलैंड समेत दूसरे देशों से लाया जाना है. सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि सरकार भारत से चोरी करके ले जाई गईं प्राचीन वस्तुओं को कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से वापस लाने पर जोर दे रही है. अमेरिका से जो वस्तुएं भारत वापस लाई गयी हैं उनमें तमिलनाडु के चोल वंश की श्रीदेवी की प्रतिमा और बाहुबली की धातु की प्रतिमा शामिल हैं. एएसआई के मुताबिक संत मन्निक्कावचाका की कांस्य प्रतिमा, गणेश और पार्वती की धातु की प्रतिमाएं भी अमेरिका से वापस आई हैं. अमेरिका ने दुर्गा की पत्थर की प्रतिमा, नृत्य की भाव-भंगिमा में नटराज की पत्थर की एक प्रतिमा आदि भी भेजी हैं.

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ऑस्ट्रेलिया ने बैठे हुए गौतम बुद्ध की एक मूर्ति, नटराज और अर्द्धनारीर की प्रतिमाएं भेजी हैं. एएसआई के मुताबिक सिंगापुर से उमा परमेरी की, कनाडा से एक पैरट लेडी की और जर्मनी से जम्मू कश्मीर से ताल्लुक रखने वाली दुर्गा की प्रतिमाएं वापस भेजी गयी हैं.

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