
सिक्किम बॉर्डर पर भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच झड़प के बाद तनाव गहरा गया है. चीन अपनी दादागिरी से बाज नहीं आ रहा है और भारतीय क्षेत्र में चीनी घुसपैठ में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. एक बार फिर ड्रैगन ने लद्दाख के एरिया में किया घुसपैठ किया है. सूत्रों के मुताबिक 2 जुलाई, 3 जुलाई और 4 जुलाई को लद्दाख के एरिया में चीन की तरफ़ से घुसपैठ हुई है. चीन लगातार इस समय उत्तर लद्दाख में ट्रैक जंक्शन, मध्य लद्दाख में प्योगोंगशोक लेक और दक्षिण लद्दाख में चुमर के इलाके में घुसपैठ कर रहा है.
सूत्रों के मुताबिक पिछले 45 दिन में पूरे भारत-चीन सीमा पर पीएलए (चीनी सेना) ने करीब 120 बार घुसपैठ की. इतना ही नहीं, पिछले साल भारत-चीन सीमा पर 240 बार घुसपैठ हुई थी. हाल ही में भारत-चीन सीमा पर होने वाले चीनी घुसपैठ की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है. चीनी घुसपैठ सबसे ज्यादा लद्दाख सेक्टर में हुई.
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पिछले 45 दिनों में करीब 100 बार चीनी घुसपैठ की रिपोर्ट है, जबकि पिछले साल इसी इलाके में पूरे साल करीब 150 बार घुसपैठ हुई. इसके अलावा उत्तराखंड के चमोली जिले के भारत-चीन सीमा पर चीनी सेना ने इस साल चार बार हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया और भारत में घुसपैठ की.
सबसे अहम बात यह है कि भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने वाला चीन धमकी भी दे रहा है. चीनी राजदूत भारत को युद्ध के लिए उकसा भी रहे हैं. एक साक्षात्कार के दौरान सिक्किम बॉर्डर पर सैन्य गतिरोध पर भारत में चीन के राजदूत लू झाओहुई ने कहा कि गेंद भारत के पाले में है और भारत को यह तय करना है कि किन विकल्पों को अपनाकर इस गतिरोध को खत्म किया जा सकता है. इतना ही नहीं, उन्होंने समझौते की गुंजाइश से भी इनकार कर दिया.
चीनी राजदूत की धमकी के बाद बुधवार को चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि भारत को एक बार फिर से सबक सिखाने का समय आ गया है. इस बार भारत का 1962 से भी ज्यादा बुरा हाल करने का समय आ गया है. चीनी अखबार ने कहा कि अगर भारत यह सोचता है कि वह डोंगलांग इलाके में सेना का इस्तेमाल कर सकता है और चीन एवं पाकिस्तान के खिलाफ एक साथ युद्ध के लिए तैयार है, तो हमें भारत को यह बताना होगा कि वह चीनी सेना की ताकत को हल्के में ले रहा है.
ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा कि जेटली ठीक कह रहे हैं कि 1962 और 2017 के भारत में काफी अंतर है, लेकिन अगर जंग हुई, तो भारत को ज्यादा नुकसान उठाना होगा.