Advertisement

UNSC में PAK-चीन का एजेंडा फेल, रूस ने कश्मीर को बताया द्विपक्षीय मुद्दा

रूस ने कहा, हमें उम्मीद है कि मतभेद को 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणा के आधार पर द्विपक्षीय प्रयासों के माध्यम से सुलझाया जाएगा.

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की फाइल फोटो (ANI) प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की फाइल फोटो (ANI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:12 AM IST

  • UNSC में कश्मीर मुद्दे पर हुई क्लोज डोर मीटिंग
  • फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस ने दिया भारत का साथ

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में कश्मीर के मुद्दे पर चीन-पाकिस्तान को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है. बुधवार को UNSC में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान और चीन समर्थन जुटाने में विफल रहे. इस बैठक में रूस समेत कई सदस्यों ने UNSC की बैठक में कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है. रूस ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि मतभेद को 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणा के आधार पर द्विपक्षीय प्रयासों के माध्यम से सुलझाया जाएगा.'

Advertisement

दरअसल, चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एओबी (एनी अदर बिजनेस) के तहत कश्मीर मसले पर क्लोज डोर मीटिंग का प्रस्ताव रखा. चीन ने यह प्रस्ताव पाकिस्तान की अपील पर रखा था, जिसके लिए 24 दिसंबर, 2019 की तारीख तय की गई थी, लेकिन तब मीटिंग नहीं हो पाई थी.

चीन ने कश्मीर मामला UNSC की मीटिंग के दौरान उठाया, जिसका स्थायी सदस्यों फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और रूस के साथ 10 सदस्यों ने विरोध किया और कहा कि यह मामला यहां उठाने की जरूरत नहीं है. रूस की तरफ से द्विपक्षीय स्तर पर मामला सुझलाने का सुझाव दमित्री पोलिंस्की ने दिया है. पोलिंस्की UNSC में रूस के पहले स्थायी प्रतिनिधि हैं. 

चीन के अनुरोध के बावजूद फ्रांस ने इस मुद्दे पर अपनी पहले की स्थिति को दोहराया, जिसमें उसका कहना है कि यह मुद्दा भारत और पाकिस्तान की ओर से द्विपक्षीय रूप से सुलझाया जाना चाहिए. इससे पहले विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा था कि वे यूएनएससी के घटनाक्रम की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और अगर चीन, कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा चलाता है तो इससे निपटने के लिए वे तैयार हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement