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नहीं बन रही ब्रह्मपुत्र पर 1000 KM लंबी सुरंग, चीन ने कहा- रिपोर्ट झूठी

हुआ ने यह भी कहा कि चीन भविष्य में भी ब्रह्मपुत्र नदी का पानी अपने पड़ोसी देशों के साथ बांटता रहेगा. आपको बता दें कि रिपोर्ट आईं थी कि  ब्रह्मपुत्र को लेकर चीन ने नया प्लान तैयार किया है

हुआ चुनयिंग हुआ चुनयिंग
अंकुर कुमार
  • नई दिल्ली ,
  • 31 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST

ब्रह्मपुत्र का पानी डायवर्ट करने के लिए 1000 किलो मीटर लंबी टनल बनाने की योजना के बारे में खुद चीन ने इनकार कर दिया है. चीन की विदेश प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट झूठी है. साथ ही हुआ ने कहा कि चीन हमेशा से ट्रांस बॉर्डर जल संसाधन में हमेशा मदद करते रहा है और आगे भी वह मदद का महत्वपूर्ण हाथ बढ़ाते रहेगा.

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हुआ ने यह भी कहा कि चीन भविष्य में भी ब्रह्मपुत् र नदी का पानी अपने पड़ोसी देशों के साथ बांटता रहेगा. आपको बता दें कि रिपोर्ट आईं थी कि  ब्रह्मपुत्र को लेकर चीन ने नया प्लान तैयार किया है. चीनी इंजीनियरों ने ब्रह्मपुत्र का पानी डायवर्ट करने के लिए 1000 किलो मीटर लंबी टनल बनाने की योजना तैयार की है. इस टनल के जरिए ब्रह्मपुत्र का पानी तिब्बत से जिनजियांग की तरफ मोड़ने की योजना है. हालांकि चीन के इस नए दावे से रिपोर्ट पर सवाल उठ गए हैं और भारत के लिए यह खबर राहत के रूप में आई है.

वहीं चीन की तरफ से 1000 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाकर ब्रम्हपुत्र के पानी को मोड़ने के सवाल पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कोई रिपोर्ट होगी, लेकिन ऐसा चीन की सरकार की तरफ से नही कहा गया है. ऐसे में भारत सरकार भी इस रिपोर्ट का समर्थन करती नजर नहीं आ रही है.

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आपको बता दें कि डोकलाम विवाद के सुलझने के बाद से चीन और भारत दोनों की तरफ से दोस्ताना रिश्ते की पहल की कोशिश हुई है. चीन के कई अधिकारी और खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग पड़ोसियों खासकर भारत से दोस्ताना रिश्तें की बात कह चुके हैं. चीन की इस घोषणा को भी इसी दिशा में एक पहल के रूप में देखा जा सकता है. आपको बता दें कि भारत ने ब्रह्मपुत्र नदी पर बन रहे कई बांधों पर भी सवाल उठा चुका है.

यह थी रिपोर्ट

हांगकांग के अखबार 'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' ने खबर दी थी कि  चीनी इंजीनियरों ने ब्रह्मपुत्र का पानी डायवर्ट करने के लिए 1000 किलो मीटर लंबी टनल बनाने की योजना तैयार की है. इस कदम से 'शिनजियांग के कैलीफोर्निया में तब्दील होने' की उम्मीद है. इस कदम से पर्यावरणविदों में चिंता पैदा हो गई है क्योंकि इसका हिमालयी क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक यह प्रस्तावित सुरंग चीन के सबसे बड़े प्रशासनिक क्षेत्र को पानी मुहैया कराने का काम करेगी. दक्षिणी तिब्बत की यारलुंग सांगपो नदी के जलप्रवाह को शिनजियांग के ताकालाकान रेगिस्तान की तरफ मोड़ा जाएगा. ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की ओर से कई बांध बनाए जाने को लेकर भारत बीजिंग को अपनी चिंताओं से अवगत करा चुका है.

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