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चीन की धमकी- अपनी जमीन की हिफाजत के लिए भारत से जंग भी मंजूर

चीन ने एक बार फिर भारत को धमकाया है. सिकिक्म और भूटान में सीमा विवाद के बीच चीन की सरकारी मीडिया की ओर से एक लेख प्रकाशित किया गया है. इसमें कहा गया है कि अपनी सीमा की रक्षा के लिए चीन जंग के हद तक भी जाने को तैयार है. सोमवार को चीन के एक रणनीतिक विशेषज्ञ ने इस प्रकार का बयान दिया, जो कि दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा सकते हैं.

चीन ने दी भारत को धमकी चीन ने दी भारत को धमकी
केशवानंद धर दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 3:27 PM IST

चीन ने एक बार फिर भारत को धमकाया है. सिक्किम और भूटान में सीमा विवाद के बीच चीन की सरकारी मीडिया की ओर से एक लेख प्रकाशित किया गया है. इसमें कहा गया है कि अपनी सीमा की रक्षा के लिए चीन जंग के हद तक भी जाने को तैयार है. सोमवार को चीन के एक रणनीतिक विशेषज्ञ ने इस प्रकार का बयान दिया, जो कि दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा सकते हैं.

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ग्लोबल टाइम्स के उस लेख में कहा गया- चीन किसी भी हद तक जाकर अपनी सीमा की रक्षा करेगा. भारतीय सेना के साथ हितों के टकराव के बीच अगर जंग की जरूरत पड़ी तो वो भी मंजूर है. बता दें कि इस पेपर का प्रकाशन पीपुल्स डेली की ओर से किया जाता है. चीन में मीडिया सरकारी है और ऐसे बयानों को सीधे सरकार की नीति और फैसले से जोड़कर ही देखा जाता है.

जेटली को चीन का जवाब

चीन ने सीमा विवाद ही नहीं बल्कि पिछले रक्षा मंत्री अरुण जेटली के बयान का जवाब भी दिया है. चीन के इस मीडिया ने शंघाई म्युनसिपल सेंटर ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के प्रोफसर वेंग देहउ को कोट करते हुए कहा है- हम भी 1962 से बहुत अलग हैं. अगर दोनों देशों के बीच मौजूदा विवाद को नहीं संभाला गया तो जंग जैसे हालात बन सकते हैं. बता दें कि पिछले दिनों इंडिया टुडे-आज तक जीएसटी कॉन्क्लेव में जेटली ने कहा था - चीन को यह समझना चाहिए कि यह 1962 वाला भारत नहीं है. बता दें कि 1962 में दोनों देशों के बीच जंग हुई थी और भारत को हार का सामना करना पड़ा था.

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जेटली ने क्या कहा था?

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने चीन का करारा जवाब दिया था. 'आजतक' के कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि भूटान ने बयान दिया है कि जहां चीन सड़क का निर्माण कर रहा है वह जमीन भूटान की है और भूटान और भारत के बीच सुरक्षा संबंध हैं. इसलिए हमारी सेना वहां पर हैं. चीन की ओर से 1962 की याद दिलाने पर जेटली ने कहा कि 1962 के हालात अलग थे, और आज के हालात अलग हैं. हमें इस बात को समझना होगा.

बातचीत की भी वकालत

हालांकि, इसी लेख में बातचीत को आगे बढ़ाने की भी वकालत की गई है. चीनी विद्वान झोओ गांचेंग के हवाले से कहा गया है- दोनों देशों को हितों और जंग की जगह बात आगे सुलझाने को लेकर ध्यान देना चाहिए. दोनों देशों के बीच विवाद से किसी और देश को इसका फायदा उठाने का मौका मिल जाएगा. खासकर अमेरिका जैसे देश को. भारत को चीन के प्रति अपना नजरिया बदलने की जरूरत है. मधुर संबंध दोनों देशों के लिए हितकारी हैं.

चीन ने पहले क्या कहा था?

चीन ने एक वेब पॉर्टल में में छपे लेख के जरिए चीन ने भारत पर तंज कसा था. लेख में सिक्किम बॉर्डर के मुद्दे को भी 1962 की जंग के दौरान अमेरिकी समर्थन से जोड़ते हुए देख गया है. लेख में कहा गया है कि भारत की मीडिया लगातार इस तरह का माहौल बना रही है, जैसे कि चीन के सैनिकों ने बॉर्डर को क्रॉस कर उनकी सरजमीं में कदम रख दिया हो.

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