
रूस के साथ वार्षिक द्विपक्षीय शिखर-सम्मेलन से पहले भारत ने पाकिस्तान के साथ रूस के संयुक्त अभ्यास को लेकर उससे विरोध दर्ज कराया है और कहा है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश के साथ संयुक्त अभ्यास से समस्याएं और बढ़ेंगी.
मॉस्को में भारत के राजदूत पंकज सरन ने रूसी समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती को दिये साक्षात्कार में कहा, 'हमने रूसी पक्ष को अपने इन विचारों से अवगत करा दिया है कि आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले और राजकीय नीति के तौर पर इसे अपनाने वाले पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग एक गलत रुख है और इससे केवल और समस्याएं पैदा होंगी.' सरन के बयान आगामी शनिवार को गोवा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की द्विपक्षीय बैठक से पहले आया है. पुतिन 14 अक्तूबर को भारत पहुंचेंगे. वह द्विपक्षीय बैठक के अलावा 16 अक्तूबर को ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) के सम्मेलन में शामिल होंगे.
पाकिस्तान के साथ रूस के संयुक्त सैन्य अभ्यास को लेकर भारत ने उसके साथ नाराजगी जाहिर की है. हालांकि रूसी अधिकारियों ने इन चिंताओं को तवज्जो नहीं दी है और कहा कि वे क्षेत्र के अन्य देशों के साथ भी इस तरह के सैन्य अभ्यास करते रहे हैं.
सरन ने कहा, 'आज दुनिया के सामने कुछ ज्वलंत मुद्दे हैं जिन पर ब्रिक्स देश निश्चित रूप से ध्यान देंगे और इनमें आतंकवाद का प्रश्न और ब्रिक्स समूह के सभी देशों के सामने आतंकवाद के खतरे का विषय शामिल है. इस तरह यह क्षेत्रीय संघर्ष और वैश्विक हालात के अलावा सम्मेलन में विचार-विमर्श का प्रमुख मुद्दा होगा.'
मोदी और पुतिन रक्षा, सुरक्षा और व्यापार के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए चर्चा के अलावा क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे. लंबी दूरी की पांच वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली एस-400 ‘ट्रायंफ’, कामोव-28 हेलीकॉप्टर की खरीद और सुखोई 30-एमकेआई में सुधार उन सबसे महत्वपूर्ण रक्षा समझौतों में शामिल हैं जिनपर इस समय दोनों देशों के बीच चर्चा चल रही है.
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (एफजीएफए) के संयुक्त विकास का लंबित मुद्दा भी चर्चा के केंद्र में होगा. भारत रूस से अकुला-क्लास परमाणु पनडुब्बी लीज पर लेने पर भी विचार कर रहा है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि 2017 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 70 साल पूरे हो रहे हैं जिसे देखते हुए कई समारोहों के आयोजन की योजना है.